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सरकार ने युवाओं के सुनहरे भविष्य, विभागों में पदोन्नतियों सहित कई अहम निर्णय लिये

राजस्थान सरकार ने प्रदेश में युवाओं के सुनहरे भविष्य, विभागों में पदोन्नतियों और चिकित्सा सुविधाओं में विस्तार कराने सहित कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं।

जयपुर। राजस्थान सरकार ने प्रदेश में युवाओं के सुनहरे भविष्य, विभागों में पदोन्नतियों और चिकित्सा सुविधाओं में विस्तार कराने सहित कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में बुधवार को मुख्यमंत्री निवास पर आयोजित मंत्रिमंडल की बैठक में ये निर्णय लिए गए। बैठक में शारीरिक शिक्षा अध्यापक के पदों की भर्ती में अधिक से अधिक युवाओं को मौका देने का निर्णय लिया गया है। राजस्थान शैक्षिक (राज्य एवं अधीनस्थ) सेवा नियम, 2021 में संशोधन करते हुए राजस्थान शैक्षिक (राज्य एवं अधीनस्थ) सेवा नियम (संशोधित तृतीय), 2021 के अनुसार अब शारीरिक शिक्षा अध्यापक पद के लिए योग्यता निर्धारण में सी.पी. एड के साथ डिप्लोमा इन फिजिकल एजुकेशन (डी.पी.एड) एवं बैचलर ऑफ फिजिकल एजुकेशन (बी.पी.एड) को रखे जाने पर निर्णय हुआ है।उल्लेखनीय है कि राजस्थान में सी.पी.एड वर्तमान में प्रचलन में नहीं है। सी.पी.एड के स्थान पर कक्षा 12वीं के बाद डी.पी.एड कोर्स संचालित है। शारीरिक शिक्षा अध्यापक का पद पे-मेट्रिक्स लेवल-10 का है, यह सौ प्रतिशत सीधी भर्ती से भरा जाएगा।
बैठक में सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार विभाग द्वारा भर्ती सूचना सहायकों, सहायक प्रोग्रामर को पदोन्नति देने के लिए अहम निर्णय लिया गया है। इसमें अब एनालिस्ट-कम-प्रोग्रामर (उप निदेशक) के 20 प्रतिशत पदों को सीधी भर्ती और 80 प्रतिशत पदों को पदोन्नति से भरे जाने का प्रावधान किया गया है। अभी तक इस पद के लिए 50 प्रतिशत सीधी भर्ती और 50 प्रतिशत ही पदोन्नति से भरा जा रहा था। इससे अनुभवी कार्मिकों को पदोन्नति मिलने के अवसर बढ़ेंगे, जिससे उनका मनोबल बढ़ेगा। इसके लिए राजस्थान कम्प्यूटर राज्य एवं अधीनस्थ सेवा नियम, 1992 के अनुसूची के बिंदु संख्या 4 के सेवा नियमों में संशोधन को स्वीकृति मिली है।
इसी तरह हरिशचंद्र माथुर राजस्थान लोक प्रशासन संस्थान में दो सीनियर प्रोफेसर के पद सृजित करने का निर्णय लिया गया है। इससे संस्थान में पदोन्नति के अवसर उपलब्ध होंगे। इससे संस्थान का प्रशिक्षण कार्य सुचारू रूप एवं तत्परता से संपादित हो सकेगा। इसके लिए राजस्थान लोक सेवा आयोग (कृत्यों का परिसीमन) विनियम, 1951 के विनियम 6 के खंड (पी) में सीनियर प्रोफेसर के पद को शामिल किया जा रहा है, जिसके क्रम में उक्त विनियम, 1951 में संशोधन किया है। उल्लेखनीय है कि एचसीएम रीपा में प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर एवं असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों की सीधी भर्ती आरपीएससी द्वारा की जाती है और पदोन्नति के लिए विनियम में कोई प्रावधान नहीं है।
बैठक में राजकीय आयुर्वेद ‘‘अ‘‘ श्रेणी चिकित्सालय पूंजला एवं आयुर्वेद नर्स-कंपाउंडर प्रशिक्षण केंद्र पूंजला, जोधपुर को डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय जोधपुर से पुनः राज्य सरकार (आयुर्वेद विभाग) के अधीन हस्तांतरित करने का निर्णय लिया गया। दोनों संस्थाओं का राज्य सरकार को हस्तांतरण होने से प्रबंधन एवं संचालन प्रभावी रूप से हो सकेगा। इनमें विभागीय योजनाओं का संचालन भी सुचारू रूप से किया जा सकेगा। इससे आमजन को आयुर्वेद चिकित्सा का समुचित लाभ प्राप्त हो सकेगा। इस निर्णय के बाद दोनों संस्थाओं के प्रबंधन के अलावा संपूर्ण भूमि एवं भवन का स्वामित्व भी आयुर्वेद विभाग का रहेगा।
बैठक में राजस्थान संस्कृत शिक्षा (महाविद्यालय शाखा) सेवा नियम 2022 के प्रारूप को मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदन प्राप्त हुआ। प्रस्तावित सेवा नियम पर मंत्रिमंडल की स्वीकृति मिलने के बाद संस्कृत शिक्षा विभाग में महाविद्यालय संवर्ग के पदों पर भर्ती, पदोन्नति, वादकरण की समस्याओं का समाधान हो सकेगा। उल्लेखनीय है कि महाविद्यालय शाखा के प्रक्रियाधीन सेवा नियमों के अभाव में महाविद्यालय में कार्यरत शिक्षकों की पदोन्नति और सीधी भर्ती के पदों पर भर्ती प्रक्रिया पूर्णतया अवरूद्ध हो गई थी। इन समस्याओं के समाधान के लिए यूजीसी रेग्यूलेशन-2018 के मापदंडानुसार योग्यता, अनुभव आदि का निर्धारण कर नवीन सेवा नियम का प्रारूप तैयार किया गया है।
मंत्रिमंडल ने राजस्थान न्यायिक सेवा नियम, 2010 की अनुसूची-एक में संशोधन किए जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित किया। यह संशोधन न्यायिक सेवा की संवर्ग संख्या से संबंधित है। संशोधन होने से नवीन न्यायालय व पद अनुसूची-एक में समाविष्ठ हो जाएंगे और सूची अपडेट होगी।
बैठक में राजस्थान न्यायिक अधिकारी (चिकित्सा सुविधा) नियम 2008 के नियम 4 एवं 6 में संशोधन को स्वीकृति मिली है। राजस्थान सिविल सेवा (चिकित्सा परिचर्या) नियम 1970 के स्थान पर राजस्थान सिविल सेवा (चिकित्सा परिचर्या) नियम 2013 प्रभावी हो चुके हैं। अतः उपरोक्त नियम 1970 के स्थान पर उपरोक्त नियम 2013 की शीर्षक अभिव्यक्ति को प्रतिस्थापित करते हुए उन नियमों को अपडेट किए जाने के प्रयोजन से इस संशोधन का प्रस्ताव रखा गया।

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