तेजी से टूटते जा रहे हैं पति-पत्नी के विश्वास के रिश्ते
ससुराल में मायके के अधिक दखल से लड़कियों के नहीं बन पा रहे हैं अपने घर मोबाईल फोन की भी रिश्ते टूटने में रही है अहम भूमिका
गुडग़ांव। विवाहित पुत्रियों के बसे बसाए घर में मायके के अधिक दखलंदाजी से उनके घर नहीं बन पा रहे हैं। ऐसे में पति-पत्नी के तेजी
से रिश्ते भी टूटने के कगार पर पहुंच रहे हैं। मोबाईल फोन भी आवश्यक जरुरत के बजाय घर-घर में कलह का कारण बनता जा रहा है। उक्त जानकारी टूटे रिश्तों को बनाने में सहयोग देने वाले अधिवक्ता काउंसलरों ने दी है। इस क्षेत्र में प्रयासरत अधिवक्ता काउंसलरों का कहना है कि बड़ी संख्या में इस प्रकार के प्रकरण अदालतों में आते रहे हैं। इन काउंसलरों का कहना है कि पति-पत्नी से काउंसलिंग के दौरान यह तथ्य सामने आए हैं कि शादी के बाद भी मायके वाले अपनी पुत्री के लगातार संपर्क में रहते हैं और दिन में कई बार मोबाईल पर लंबी-लंबी बातें भी करते रहे हैं। हर छोटी-बड़ी बातों में मां का हस्तक्षेप होने से शादी होकर नए घर में आई लडक़ी अपने पति और ससुराल पक्ष के साथ आत्मियता का रिश्ता नहीं बना पाती है। इन काउंसलरों का यह भी कहना है कि मायके वालों के अधिक दखल के कारण पहले दिन से ही वह ससुराल को अलग तरीके से देखना शुरु कर देती है। शादी के कई माह बाद भी
लडक़ी अपने मायके से दिनभर जुड़ी रहती है। उनके ही दिशा-निर्देश पर वह काम करती है। जिसके कारण हजारों घर बसने के पहले ही बिखरने लगते हैं और पति-पत्नी के बीच तलाक की नौबत तक आ जाती है। इन काउंसलरों का यह भी कहना है कि परिवार न्यायालय में काउंसलिंग के दौरान तलाक के लिए 50 प्रतिशत से अधिक मामलों में मायके वालों के लगातार नियमित हस्तक्षेप के कारण रिश्ते टूटने की बात सामने आई है। उनका यह भी कहना है कि हर छोटी-बड़ी बात में मायका हस्तक्षेप करता है। मोबाईल फोन रिश्तों को बिगाडऩे में अदा कर रहा है प्रमुख भूमिका इन काउंसलर्स का कहना है कि मोबाईल फोन भी आवश्यक जरुरत की बजाय घर-घर में कलह का कारण बनता जा रहा है। रिश्तों को बनने के पहले ही बिगाडऩे में मोबाईल की अहम भूमिका रही है। उनका कहना है कि शादी कर लडक़ी जब ससुराल पहुंचती है तो वह सबसे अधिक बात अपने मायके वालों और विशेषकर मां से ही करती रहती है। पति व ससुराल की हर बात को वह मायके से शेयर करती है। उनका यह भी कहना है कि ऐसे अधिकतर माता-पिता होते हैं जो अपनी लडक़ी को ससुराल पक्ष को अंगुलियों पर नचाने के नए-नए नुस्खे भी देते रहते हैं। उनके इस कार्य से नवदंपति के बीच सही रिश्ता नहीं बन पाता और शादीशुदा लडक़ी पत्नी के रुप में अपना घर भी नहीं बसा पाती। काउंसलर का कहना है कि ऐसे मामलों में वे चाहकर भी कुछ नहीं कर सकते, क्योंकि शादी के बाद भी मायके वालों का लडक़ी पर पूरा प्रभाव देखने को मिलता है।