परीक्षा देकर घर पहुंची तो सामने दिखा पिता का शव, तीन बहनों ने दिया अर्थी को कंधा
बेटियों ने श्मशान घाट तक जाकर पिता का रीति-रिवाजों के अनुसार अंतिम संस्कार किया। इनकी मां की पहले ही मौत हो चुकी है। यह नजारा देख गांव के सभी लोगों के आंखों में आंंसू आ गए। परिवार में पुरुष सदस्य न होने के चलते सबसे छोटी बेटी ने मुखाग्नि दी।
अयोध्या। रामनगरी में तीन बेटियों ने पिता को कंधा देकर बेटे का फर्ज निभाया। बेटियों ने श्मशान घाट तक जाकर पिता का रीति-रिवाजों के अनुसार अंतिम संस्कार किया। इनकी मां की पहले ही मौत हो चुकी है। यह नजारा देख गांव के सभी लोगों के आंखों में आंंसू आ गए। परिवार में पुरुष सदस्य न होने के चलते सबसे छोटी बेटी ने मुखाग्नि दी।
शनिवार को तीन बेटियों ने मरुई गनेशपुर पूरे बुच्चू तिवारी गांव में अपने 52 वर्षीय पिता अवधराज तिवारी की अर्थी को कंधा दिया। तीनों बेटियों के साहस और संवेदनशीलता को पूरा क्षेत्र सैल्यूट कर रहा है। पिता की मौत कैंसर से हुई थी। तीनों बेटियां अर्थी लेकर जब निकलीं तो हर आंख से आंसू छलक पड़े। गांव वाले भी इन बेटियों के साथ आ खड़े हुए। सबसे छोटी बेटी ने पिता को मुखाग्नि दी।
कैंसर से थे पीड़ित, मां की पहले हो चुकी है मौत : मृतक का कोई बेटा नहीं है, सिर्फ तीन बेटियां ही हैं। अवधराज तिवारी एक वर्ष से कैंसर से पीड़ित थे, जिनका निधन शनिवार सुबह हुआ था। बड़ी बेटी बिंदु, दूसरी रेनू, छोटी बेटी रोली हैं। बड़ी बेटी बिंदु की शादी कुमारगंज के द्विवेदीनगर गोयड़ी के अरुण द्विवेदी के साथ हुई है। दूसरी बेटी रेनू का ब्याह तेंधा निवासी देवानंद के साथ हुआ है। सबसे छोटी बेटी रोली स्नातक की पढ़ाई कर रही है।
भूगोल की परीक्षा देकर लौटी थी रोली : रोली की शनिवार सुबह भूगोल की परीक्षा थी। परीक्षा देने के बाद जब रोली घर पहुंची तो दृश्य देख उसकी रूह कांप गई। इसके बाद उसने अंतिम संस्कार की रस्में कर मुखाग्नि दी। उसने बेटे की तरह दायित्व निभाया। रोली जब चार वर्ष की थी तभी उनकी मां का साया सिर से उठ गया था। मृतक के दामाद अरुण द्विवेदी का कहना है कि उनके ससुर ने सभी बेटियों को बेटों की तरह पाला है।