CM योगी का अहम फैसला, अब हिंदी में पढ़ाई कर इंजीनियर और डॉक्टर बनेंगे छात्र
मध्यप्रदेश की तर्ज पर यूपी में भी मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई हिंदी भाषा में कराई जाएगी। इसके लिए पुस्तकों के अनुवाद का काम पूरा कर लिया गया है।
मध्यप्रदेश की तर्ज पर अब प्रदेश सरकार ने भी मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई हिंदी भाषा में कराए जाने का फैसला लिया है। ऐसा प्रदेश में हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के लिए किया जाएगा। बता दें कि प्रदेश सरकार हमेशा से ही भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाती रही है। इस कड़ी में योगी सरकार ने फैसला लिया है कि प्रदेश के सभी मेडिकल और इंजीनियरिंग संस्थानों में अंग्रेजी के अलावा हिंदी भाषा में पढ़ाई करने का विकप्ल भी रखा जाएगा। इसके लिए पुस्तकों के अनुवाद का काम भी पूरा कर लिया गया है। जल्द ही ये व्यवस्था प्रदेश में लागू कर दी जाएगी।
एमपी के बाद उप्र बना दूसरा राज्य
गौरतलब है कि हिंदी भाषा में मेडिकल और इंजीनियर की पढ़ाई कराने वाला पहला राज्य मध्य प्रदेश बना है। क्योंकि केंद्र सरकार ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत भारतीय भाषाओं में मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई का फैसला किया है। जिसके तहत ही तीन पुस्तकों का हिंदी में अनुवाद कराया गया है, जिसका विमोचन आज रविवार को गृह मंत्री अमित शाह भोपाल में करेंगे। इसके लिए भोपाल के लाल परेड ग्राउंड में हिंदी किताब विमोचन का कार्यक्रम आयोजित होगा। मालूम हो कि देशभर में अभी तक किसी भी मेडिकल कॉलेज में मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में नहीं कराई जाती है। लेकिन अब इसी लिस्ट में दूसरा नाम उत्तर प्रदेश का भी शामिल हो गया है।
कुछ छात्रों के मन में अभी भी शंका
हालांकि सरकार के इस फैसले को लेकर कुछ छात्राओं के मन में शंका भी है। क्योंकि हमेशा से ही इंजीनियर और मेडिकल की पढ़ाई हिंदी भाषा में ही होती आई है। ऐसे में यह कह पाना मुश्किल होगा कि हिंदी भाषा में मेडिकल और इंजीनियरिंग की पुस्तकें उपलब्ध होंगी तो कितने छात्र या छात्राएं इसे पढ़ने के लिए तैयार हो सकेंगे। इसके अलावा हिंदी माध्यम से पढ़कर निकले डॉक्टर और इंजीनियर का भविष्य क्या होगा? अक्सर ऐसा ही देखा जाता है कि हिंदी विषय में पढ़ने के बाद भविष्य में छात्रों को कुछ दिक्कत होती है। लेकिन सरकार का ये फैसला कई छात्रों के लिए राहत भरा भी हो सकता है।