delhi

AAP को लगा बड़ा झटका, परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने पार्टी से दिया इस्तीफा

दिल्ली के परिवहन मंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के वरिष्ठ नेता कैलाश गहलोत ने अचानक पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। यह खबर दिल्ली की राजनीति में एक बड़ा उलटफेर मानी जा रही है।

दिल्ली के परिवहन मंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के वरिष्ठ नेता कैलाश गहलोत ने अचानक पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। यह खबर दिल्ली की राजनीति में एक बड़ा उलटफेर मानी जा रही है। कैलाश गहलोत ने इस्तीफा देने के बाद पार्टी और अपने समर्थकों के लिए एक संदेश जारी किया, जिसमें उन्होंने अपने फैसले के कारणों का खुलासा किया। मंत्री कैलाश गहलोत ने अपने इस्तीफे की वजह स्पष्ट करते हुए कहा कि वह अपने इस्तीफे का कारण लोगों से किए गए वादों को पूरा न कर पाने को मानते हैं। गहलोत ने अरविंद केजरीवाल को एक चिट्ठी भी लिखी है, जिसमें उन्होंने अपनी इस्तीफे की वजह और कारणों का जिक्र किया।

उन्होंने अपनी चिट्ठी में लिखा कि उन्होंने अपने राजनीतिक और प्रशासनिक कार्यों में जनता से किए गए वादों को पूरा करने की पूरी कोशिश की, लेकिन कुछ कारणों के चलते वह उन वादों को पूरी तरह से निभाने में असफल रहे, और इसी वजह से उन्होंने इस्तीफा देने का निर्णय लिया।

pic.twitter.com/BxwMt3A85p

— Kailash Gahlot (@kgahlot) November 17, 2024

मंत्री गहलोत ने अपने इस्तीफे की वजह बताते हुए आम आदमी पार्टी (AAP) पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी से जुड़ी उनकी यात्रा का उद्देश्य दिल्ली के लोगों की सेवा करना था, लेकिन अब उन्होंने महसूस किया कि पार्टी सिर्फ अपने राजनीतिक एजेंडे के लिए लड़ रही है, जिससे दिल्लीवासियों को बुनियादी सेवाएं प्रदान करने में मुश्किलें आ रही हैं। गहलोत का कहना था कि अब उनके पास पार्टी से अलग होने के अलावा कोई और विकल्प नहीं था, क्योंकि वह अपनी राजनीतिक प्रतिबद्धता को लेकर ईमानदार थे और चाहते थे कि उनकी प्राथमिकता दिल्लीवासियों की सेवा हो, न कि किसी राजनीतिक उद्देश्य को आगे बढ़ाना।

कैलाश गहलोत का इस्तीफा पार्टी के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि वे दिल्ली सरकार में महत्वपूर्ण पद पर थे और उनके पास परिवहन मंत्रालय की जिम्मेदारी थी। गहलोत के इस्तीफे के बाद, पार्टी की रणनीतियों और आगामी चुनावों पर असर पड़ सकता है। इस घटनाक्रम पर आम आदमी पार्टी की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन पार्टी समर्थकों और राजनीतिक विश्लेषकों के बीच इस फैसले को लेकर अटकलें जारी हैं।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
× How can I help you?