मनुष्य जीवन का सार : संयम, संतोष और समरसी भाव- आचार्य विशुद्ध सागर
दिगम्बर जैनाचार्य श्री विशुद्धसागर जी गुरुदेव ने ऋषभ सभागार मे धर्मसभा में सम्बोधन
करते हुए कहा कि-“प्रत्येक वस्तु में अनन्त गुण होते हैं, उसे स्याद्वाद- अनेकान्त
दृष्टि से ही देखा जाता है। जैसी दृष्टि होगी, वैसी ही सृष्टि दिखाई देती है। दृष्टि विशाल और पवित्र होना चाहिए। जिसकी दृष्टि निर्मल होती है, वह हर वस्तु एवं व्यक्ति में अच्छाई देखता है। गुण-ग्राही दृष्टि मानव को महा-मानव बना देती है।तपस्या से आत्म-शोधन होता है। तप से आत्मा पवित्र होती है।
मनुष्य-जीवन का सार कोई है, तो वह संयम-साधना है।संयम ही सुख का साधन है। संयम में ही आनन्द है। संयम से ही शांति संभव हैं।बोध से शोध की ओर चलो यही शास्वत शांति का
पवित्र-मार्ग है।
तप से शोधन करो, ज्ञान से बोध प्राप्त करो।गुरु शिष्य को शिक्षा-दीक्षा देते हैं, यह उनका महान् गुरु उपकार है। गुरु कुम्भकार की तरह शिष्य को नवीन आकार प्रदान करते हैं। गुरु बागवान की भाँति शिष्य रूपी बगिया को सँभालते व सँभारते हैं। शिष्य को गुरु माँ की तरह दुलार देते हैं। जैसे जननी माँ, अपनी संतान का ख्याल रखती है, उसी प्रकार गुरु शिष्य का पालन करते हैं।
मिट्टी यदि कुम्भकार के अनुसार न ढले तो वह कुभ (कलश) नहीं बन पायेगी, बीज कृषक की बाड में न रहे तो उसे बकरी चर जायेगी, फिर वह वृक्ष बनकर फलवान नहीं हो पायेगा। पाषाण शिल्पकार की टॉकी-हथौड़ी को सहन न करे, तो वह प्रतिमा नहीं बन सकता है। ऐसे- ही शिष्य गुरु के अनुसार न जिये तो वह आत्मा से परमात्मा नहीं बन सकती है। जिसके जीवन में गुरु नहीं, उसका जीवन शुरु नहीं। गुरु का अनुशासन ही शिष्य को ऊँचाईयाँ प्रदान करता है। शिष्य द्वारा विनय, समर्पण उसे मुक्ति-पथ पर आगे बढ़ाता है।
जल में कमलवत् जिंदगी जीना सीखो, काई मत बनो। संकटों में मुस्कराना सीखो। सभा का संचालन डॉक्टर श्रेयांस जैन ने किया।
मीडिया प्रभारी वरदान जैन ने बताया कि आज 14 नवंबर को मुनि श्री निर्ग्रंथ सागर जी महाराज,मुनि श्री निस्संग सागर जी महाराज, और मुनि श्री निर्विकल्प सागर जी महाराज का मुनि दीक्षा दिवस धूमधाम से मनाया गया।
17 नवंबर से शुरू होने वाले पंच कल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के यज्ञनायक, श्री अशोक जैन देसी दवाई वालो द्वारा आज शगुन फार्म हाउस मे पँचकल्यानक पूर्व मंगल गान महोत्सव का आयोजन किया गया। सभी जैन श्रधालुओ ने पंचकल्यानक महोत्सव की खुशिया मंगल गीत गाकर मनाई।
16 नवंबर को आचार्य विशुद्ध सागर जी महाराज का पीछी परिवर्तन समारोह दोपहर मे 1 बजे से ऋषभ सभागार मे धूम धाम से मनाया जायेगा।
सभा मे प्रवीण जैन, अतुल जैन,अशोक जैन, सुनील सबगे वाले, आलोक मित्तल,आलोक सर्राफ,दिनेश जैन,बालकिशन जैन, राकेश जैन,सुभाष जैन बीड़ी वाले, आदि उपस्थित थे।