तेजी से कम हो रही याद्दाश्त, 40 प्रतिशत तक बढ़ गए रोगी
चिकित्सकों का कहना है कि शहर की कुल आबादी में से एक प्रतिशत लोग अल्जाइमर और डिमेंशिया के शिकार हैं। कोविड के बाद ओपीडी में 30 से 40 प्रतिशत तक इन केसों में वृद्धि हुई है। मरीजों में 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोग अधिक हैं।
भोपाल। कोविड 19 का खतरा भले ही टल गया हो लेकिन उससे पैदा हुईं बीमारियां अब भी अपना असर दिखा रही हैं। इन्हीं में से एक बीमारी है अल्जाइमर। इस बीमारी के मामले राजधानी भोपाल में तेजी से बढ़े हैं। चिकित्सकों का कहना है कि शहर की कुल आबादी में से एक प्रतिशत लोग अल्जाइमर और डिमेंशिया के शिकार हैं। कोविड के बाद ओपीडी में 30 से 40 प्रतिशत तक इन केसों में वृद्धि हुई है। मरीजों में 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोग अधिक हैं।
बुजुर्गों में याददाश्त संबंधी बीमारियां बढ़ रही हैं। कोविड.19 से संक्रमित बुजुर्गों में डिमेंशिया, सीजर्स और ब्रेन फॉग जैसी मानसिक बीमारियों का खतरा बढ़ा है। श्वसन मार्ग संबंधित बीमारियों की तुलना में कोविड.19 के मरीजों में मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्याओं का रिस्क दो साल तक बना रह सकता है।
छोटी-छोटी बातें भी याद नहीं
एमपी नगर की 22 साल की ज्योति ;परिवर्तित नाम- को पहली लहर में कोविड का गंभीर संक्रमण हुआ था। इससे उबरने में उसे 3 महीने लगे। लेकिन अब उन्हें अपने टीम लीडर्स के निर्देशों को याद रखने में समस्या आ रही है।
भूल जा रहीं अपनों का नाम
दानिश नगर की 62 वर्षीय सरला ;परिवर्तित नाम- कोविड से उबरे हुए 8 महीने हो गए। लेकिन अब उन्हें कोई भी चीज याद करने में दिक्कतें आ रही हैं। अपनों के नाम से बुलाने में भी उन्हें समस्या आ रही है।
इन बातों का रखें ध्यान
– सोने.जागने का विशेष ख्याल रखें
– एक्सरसाइज नियमित रूप से करें
– अल्कोहल के सेवन से बचें
– कार्य की सूची बनाकर रखें
– समस्या बढऩे पर चिकित्सकों की सलाह लें
अध्ययन में पुष्टि
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की स्टडी में पाया गया कि कोविड से होने वाला डिप्रेशन और एंग्जायटी कुछ समय तक होती हैं। इसके गंभीर होने के कम ही मामले आए हैं लेकिन डिमेंशिया और सीजर्स कोविड संक्रमण के दो वर्षों बाद भी बने रह सकते हैं। इसी तरह नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ के न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर एंड स्ट्रोक के अध्ययन में पाया गया कि वायरस सीधे नर्व पर हमला नहीं करता। लेकिन कोविड दिमाग की कोशिकाओं में सूजन ला सकता है जिससे व्यवहार में बदलाव आ रहा है।
क्या कहते हैं चिकित्सक
सीनियर साइकेट्रिस्ट डॉ सत्यकांत त्रिवेदी के अनुसार कोविड के कारण दिमाग में माइक्रोग्लाया कोशिकाओं में सक्रियता बढ़ सकती है। जिससे चलते याददाश्त के महत्वपूर्ण हिस्से हिप्पोकैम्पस में न्यूरॉन्स बनने पर दिमाग प्रभावित हो सकते हैं।
सीनियर न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. नीरेंद्र राय अटेंशन, कंसंट्रेशन की समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। हालांकि कोविड से उपजी इन समस्याओं में बड़े शोध की जरूरत है। इनकी वजह कोविड ही है यह दावे के साथ नहीं कहा जा सकता।