जम्मू कश्मीर के बाद हुड्डा के ‘आजाद’ रुख से हरियाणा कांग्रेस में मची खलबली, कुमारी शैलजा ने खोला मोर्चा
जम्मू कश्मीर के बाद हरियाणा में भी कांग्रेस के लिए मुश्किलें बढ़ने लगी हैं। यहाँ हुड्डा की आजाद से मुलाकात ने पार्टी में खलबली मचा दी है। पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने हुड्डा के खिलाफ एक्शन की मांग की है।
कुमारी शैलजा ने हुड्डा के खिलाफ खोला मोर्चा, की एक्शन की मांग
गौरतलब है कि गुलाम नबी आजाद ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। आजाद ने कांग्रेस पार्टी और गांधी परिवार पर कई सवाल खड़े किये थे। ऐसे माहौल में मंगलवार को भूपिंदर सिंह हुड्डा उनसे मिलने पहुंचे थे। इस दौरान उनके साथ आनंद शर्मा और महाराष्ट्र के पूर्व सीएम पृथ्वीराज चव्हाण भी थे। इस मुलाकात को लेकर पार्टी में सवाल खड़े हो रहे हैं और इसके पीछे के उद्देश्य को टटोला जा रहा है।
इसी मुलाकात पर कुमारी शैलजा ने हुड्डा पर सवाल खड़े किये हैं। कुमारी शैलजा का कहना है कि हुड्डा ने ऐसे समय में आजाद से मुलाकात की जब वो राहुल गांधी पर हमलावर हैं और नई पार्टी लॉन्च की भी तैयारी कर रहे हैं।
केसी वेणुगोपाल ने कहा- हाईकमान के समक्ष उठायेंगे मुद्दा
वहीं, केसी वेणुगोपाल ने आजाद के साथ हुड्डा की मुलाकात का मुद्दा पार्टी हाईकमान के समक्ष उठाने की बात कही है। कुमारी शैलजा ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर करते हुए कहा है कि कांग्रेस हाई कमान ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर भरोसा जताया और उन्हें हरियाणा इकाई की कमान सौंपी। इसके बाद भी गुलाम नबी आजाद से उनकी मुलाकात चिंता का विषय है। खासकर तब जब गुलाम नबी आजाद पार्टी छोड़ चुके हैं और राहुल गांधी और सोनिया गांधी पर निशाना साधा है।
उन्होंने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में भी हुड्डा की गुलाम नबी आजाद से मुलाकात कांग्रेसियों को गलत संदेश देगी। किसी भी वफादार कांग्रेसी से ऐसी उम्मीद नहीं की जा सकती।
कुमारी शैलजा और हुड्डा के बीच पहले से है टकराव
बता दें कि कुमारी शैलजा को उनका प्रतिद्वंद्वी माना जाता है और वो पार्टी से हुड्डा की वजह से नाराज चल रही हैं। नाराज इसलिए क्योंकि पार्टी हाई कमान ने उनकी जगह हुड्डा के दबाव में उनके करीबी उदयभान को कांग्रेस का नए प्रदेश अध्यक्ष बनाया था। हालांकि, दोनों के बीच बैलेंस बनाने के लिए कांग्रेस ने कुमारी शैलजा को कांग्रेस कार्यसमिति का सदस्य बनाया है।
हुड्डा के बागी रुख में नहीं आ रहा बदलाव
आजाद से हुड्डा की मुलाकात ने कुमारी शैलजा को अवसर दे दिया है उन्हें बैकफुट पर भेजने का। वहीं, हुड्डा ने काफी समय से पार्टी के खिलाफ बागी रुख अपना रहे हैं, वो G-23 का भी हिस्सा रहे हैं। 2024 के लोकसभा और आगामी विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस के पास भूपिंदर सिंह हुड्डा के अलावा कोई दूसरा बड़ा चेहरा नहीं है, इस वजह से पार्टी लगातार उन्हें मनाने के लिए प्रयास भी कर रही है, लेकिन वो प्रयास विफल होते दिखाई दे रहे हैं। अब कुमारी शैलजा का हुड्डा के खिलाफ मोर्चा खोलना और हुड्डा का बागी सुर दोनों ही कांग्रेस के लिए राज्य में राजनीतिक समीकरण बिगाड़ सकता है।