बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए घातक है बढ़ती हुई गर्मी, बच्चे हो रहे हैं डिहाइड्रेशन शिकार
पूरा देश इस समय भीषण गर्मी की मार झेल रहा है। इसी बीच एक अध्ययन में दावा किया गया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ रही गर्मी बच्चों के मस्तिष्क को कमजोर कर रही है।
पूरा देश इस समय भीषण गर्मी की मार झेल रहा है। इसी बीच एक अध्ययन में दावा किया गया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ रही गर्मी बच्चों के मस्तिष्क को कमजोर कर रही है। नीदरलैंड के रॉटरडैम विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने जन्म से पहले और शुरुआती बचपन के दौरान बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य एवं तापमान के प्रभाव का आकलन किया है। जिसमें यह बात सामने आई है कि जब बच्चे गर्भावस्था या शुरुआती बचपन के दौरान गर्मी के संपर्क में आते हैं तो उनके दिमाग में माइलिनेशन (सफेद पदार्थ) का स्तर कम होता है। इससे मस्तिष्क में मौजूद न्यूरोलॉजिकल तंत्र पर प्रभाव पड़ता है।
शोध के मुताबिक जन्म के शुरुआती दिनों में शिशु तापमान परिवर्तनशीलता के प्रति संवेदनशील होते हैं। गर्मी बढ़ने पर स्वास्थ्य व दिमाग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
उनमें चिंता, अवसाद, आक्रामक व्यवहार बढ़ते हैं। ऐसे में वैज्ञानिकों ने तापमान को लेकर प्रभावी कदम उठाने पर जोर दिया है। 2014 के बाद पहली बार जून में इतनी भीषण गर्मी का सामना करना पड़ रहा है। गर्मी के कारण बच्चे भी डिहाइड्रेशन का शिकार हो रहे हैं और अस्पताल में मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।
चिकित्सकों का कहना हे कि बढ़ते तापमान के कारण शरीर का सारा पानी पसीने के जरिए बाहर निकल जाता है। जिसके कारण कई बार दिमाग में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। इससे सोचने की क्षमता कम हो जाती है। गर्मी में नींद और भूख की कमी के कारण बच्चों में चिड़चिड़ापन और गुस्सा भी देखने को मिलता है। ऐसे में अभिभावकों को सलाह दी जाती है कि बच्चों के शरीर में पानी की मात्रा बरकरार रहे इसके लिए समय-समय पर इलेक्ट्रॉल पाउडर और ठंडा पानी देते रहें। इसी तरह एक माह से दो साल तक के बच्चों को डॉक्टरों की सलाह पर इलेक्ट्रॉल पाउडर और पानी दें ताकि बच्चों के शरीर का पूर्ण विकास हो सके।