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22 जुलाई से शुरू होगा संसद का मानसून सत्र, कर व छूट पर वित्त मंत्रालय ने मांगी उद्योग जगत की राय

वित्त मंत्रालय के मुताबिक, इन सुझावों में शुल्क संरचना, कर दरों में परिवर्तन और प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष करों पर कर आधार को व्यापक बनाने के विचार शामिल हो सकते हैं, ताकि इसके लिए आर्थिक औचित्य दिया जा सके।

व्यापार एवं उद्योग संघों को अपने सुझाव 17 जून तक मंत्रालय को भेजने हैं।

वित्त वर्ष 2024-25 का पूर्ण बजट जुलाई के अंत में संसद में पेश किए जाने की उम्मीद है। इस साल चुनावी साल होने से फरवरी में अंतरिम बजट ही पेश किया गया था।

वित्त मंत्रालय के मुताबिक, इन सुझावों में शुल्क संरचना, कर दरों में परिवर्तन और प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष करों पर कर आधार को व्यापक बनाने के विचार शामिल हो सकते हैं, ताकि इसके लिए आर्थिक औचित्य दिया जा सके।

सीमा शुल्क एवं उत्पाद शुल्क में परिवर्तन के लिए व्यापार और उद्योग जगत को उत्पादन, कीमतों और सुझाए गए बदलावों के राजस्व निहितार्थ के बारे में प्रासंगिक सांख्यिकीय जानकारी के साथ अपनी मांगों को उचित ठहराना होगा।

इसके साथ ही उलटे शुल्क ढांचे में सुधार के अनुरोध को उत्पाद के विनिर्माण के प्रत्येक चरण में मूल्य संवर्धन से समर्थित करना होगा। उलटे शुल्क ढांचे में तैयार माल पर लगने वाले शुल्क से अधिक शुल्क कच्चे माल पर लगता है।

प्रत्यक्ष करों के संबंध में मंत्रालय ने कहा कि सुझाव अनुपालन कम करने, कर निश्चितता प्रदान करने और मुकदमेबाजी कम करने पर भी हो सकते हैं।

इसमें कहा गया कि मध्यम अवधि में सरकार की नीति कर प्रोत्साहन, कटौतियों तथा छूटों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने तथा साथ ही कर दरों को युक्तिसंगत बनाने की है।

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