मुख्यमंत्रियों की गिरफ्तारी ने भारत की राजनीति मंे तहलका मचा दिया है। इन सभी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे। बात चाहे जयललिता की करें, लालू यादव की अथवा झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की। इसमंे कोई संदेह नहीं कि ये सभी जनप्रतिनिधि रहे हैं। हमने ही चुनकर उन्हंे विधानसभा मंे भेजा। उन पर जो आरोप लगे, वे चुनाव से पहले के थे। इसका मतलब हम अपने जनप्रतिनिधि सोच-समझकर नहीं चुन रहे हैं। अब तो चुनाव आयोग ने उम्मीदवारों पर यह प्रतिबंध भी लगा रखा है कि वे अपने खिलाफ दर्ज मुकदमों का विवरण अखबारों मंे प्रकाशित करवाएं। जांच एजेंसियां भी बेदाग नहीं कही जा सकती हैं। उनको गंभीर आरोपों के बारे में जानकारी क्यों नहीं हो पाती? अब झारखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के मामले को ही ले लें। उन पर जमीन घोटाले के गंभीर आरोप है। जमीन पर 2011 मंे कब्जा हुआ था तो 2024 मंे हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किया जाता है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की चार्जशीट मंे चैंकाने वाले खुलासे किये गये हैं। हेमंत सोरेन के कथित भूखंड को अब ईडी ने कुर्क किया है। सोरेन पहले दुमका से लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन बाद में वहां से नतिन को टिकट दिया गया है। झारखंड के मुख्यमंत्री चंपई सोरेन कह रहे हैं कि हेमंत के साथ अन्याय हुआ है लेकिन भाजपा कह रही है कि हेमंत सोरेन के पास अवैध जमीन है।
प्रवर्तन निदेशालय ने झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन समेत अन्य चार लोगों के खिलाफ विशेष धनशोधन निवारण अधिनियम अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया था। इसके आधार पर ईडी ने हेमंत सोरेन के कथित स्वामित्व वाले 8.86 एकड़ जमीन को कुर्क किया है, जांच एजेंसी ने गत 4 अप्रैल को यह जानकारी दी। बताया जा रहा है कि हेमंत सोरेन की चार्जशीट में बड़ा खुलासा हुआ है। आरोप पत्र में भानु प्रताप प्रसाद, हेमंत सोरेन,राजकुमार, हिलारियास कच्छप और बिनोद सिंह आरोपी है। रेवेन्यू ऑफिसर भानु प्रताप के ठिकाने से संपत्तियों के 17 असली रजिस्टर (पंजी) मिले हैं। उसके चैंबर से 44 पेज की एक फाइल मिली है, जो कि हेमंत सोरेन की 8.86 एकड़ जमीन की फाइल थी। इस पर लाल इंक से एक पीले रंग के नोट में ब्ड भुईहरी बड़ागाई लिखा हुआ था चार्जशीट के मुताबिक,ब्राउन कलर की फाइल में सीएमओ अर्जेन्ट पिन्टो लिखा हुआ था। पिन्टो नाम का शख्स अभिषेक प्रसाद था, जिसे हेमंत सोरेन के मीडिया एडवाइजर उदय शंकर ने सर्किल ऑफिसर से जमीन का वेरिफिकेशन कराने के लिए कहा था। चार्जशीट में कहा गया है कि हेमंत सोरेन ने रांची के बारगेन इलाके में 8.86 एकड़ जमीन पर 2011 से कब्जा किया हुआ था। इस संपत्ति की कीमत 31 करोड़ है, जिसे ईडी ने अटैच कर लिया है। जमीन पर कब्जा सीएम ने अपने खास गुर्गों रंजीत सिंह, हिलारियास कच्छप और राजकुमार के जरिए किया। । ईडी के मुताबिक, भानुप्रसाद सरकारी जमीनों के दस्तावेज में बदलाव कर नए दस्तावेज बनाकर जमीन कब्जाने का एक बड़ा सिंडिकेट चला रहा था। हेमंत सोरेन से लेकर कई सरकारी अफसर इसमें मिले हुए थे। इस प्रॉपर्टी के जो 2 सर्वे की फोटो भी प्रवर्तन निदेशालय ने चार्जशीट में लगाई, इसमें आरोपी भानुप्रताप भी साथ में है। चार्जशीट के मुताबिक, प्रॉपर्टी के केयरटेकर संतोष मुंडा ने बताया कि ये जमीन हेमंत सोरेन (मंत्री जी)की है। आरोपी विनोद कुमार के मोबाइल से एक फोटो मिली, जिससे पता चला है कि उस जमीन पर एक बैंकेट हाल बनाने की तैयारी चल रही थी। हालांकि हेमंत सोरेन ने ईडी को दिए गए बयान में कहा कि इस प्रॉपर्टी के बारे में उन्हे कुछ नहीं पता, विनोद के साथ हुए चैट के बारे में भी उन्होंने कुछ नहीं बताया। जब कि भानुप्रताप हेमंत सोरेन को बॉस कहता था। उसी ने सरकारी रिकॉर्ड में हेराफेरी कर 8.86 एकड़ जमीन पर हेमंत सोरेन को कब्जा करवाया था। आरोपी सद्दाम हुसैन और इम्तियाज अहमद के यहां ऐसी डायरिया मिलीं, जिनमें भानुप्रताप को दिए गए पैसों के लेनदेन का हिसाब-किताब हाथ से लिखा हुआ था। चार्जशीट में सामने आया है कि सद्दाम हुसैन के मोबाइल फोन से भानुप्रताप को दिए गए पैसे के कई मेसेज मिले, उसने सहाय भैया 1 नाम से नंबर सेव किया हुआ था। ईडी ने 33 गवाहों के बयान लेने के बाद हजारों पेज के दस्तावेज जब्त किए। ईडी ने इस मामले में 51 बार छापेमारी की और 9 सर्वे किए।
आरोपियों के यहां से 1.25 करोड़ कैश और 3.56 करोड़ का बैंक बैलेंस बरामद किया गया है। हेमंत सोरेन के दिल्ली स्थित घर से 36 लाख कैश और एक बीएमडब्ल्यू कार भी बरामद हुई है। अब ईडी ने इस सिंडिकेट की 256 करोड़ की जमीन अटैच की है। अब तक इस मामले में 16 आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिसमें हेमंत सोरेन के अलावा रांची के पूर्व डीसी आईएएस छवि रंजन भी शामिल हैं।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के कथित स्वामित्व वाले 8.86 एकड़ के भूखंड को कुर्क किया है। ईडी ने 30 मार्च को झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के 48 वर्षीय नेता सोरेन तथा चार अन्य- भानु प्रताप प्रसाद, राज कुमार पहान, हिलारियास कच्छप और विनोद सिंह- के खिलाफ यहां विशेष धनशोधन निवारण अधिनियम अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया था। जनवरी में ईडी ने यहां सोरेन को इस मामले में उनके सरकारी निवास पर पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया था। उससे पहले उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में रांची के होटवार की बिरसा मुंडा केंद्रीय जेल में हैं। ईडी ने एक बयान में कहा कि इस मामले में मुख्य आरोपी झारखंड के राजस्व विभाग के पूर्व अधिकारी एवं सरकारी रिकॉर्ड संरक्षक प्रसाद हैं। प्रसाद पर आरोप है कि अपने पद का ‘दुरूपयोग करते हुए’ उन्होंने सोरेन समेत कई लोगों को अपराध की कमाई करने तथा जमीन पर अवैध कब्जे, अधिग्रहण आदि जैसी गतिविधियों में उनकी मदद की। उसने कहा कि जांच में पाया गया है कि जमीन के स्वामित्व रिकॉर्ड में भी ‘छेड़छाड़’ की गयी ताकि कथित भूमाफिया को फायदा मिले तथा उस जाली भू-रिकॉर्ड के आधार पर ऐसे भूखंडों को अन्य व्यक्तियों को बेचा जाए, जिस भूखंड को सोरेन द्वारा अधिग्रहीत करने का आरोप है। वह करीब 8.86 एकड़ जमीन है और रांची में बरियातू रोड पर बारागैन अंचल में है। ईडी के आरोप-पत्र की प्रति के अनुसार 3,50,680 रुपये प्रति डेसीमल की शहरी रिहायशी दर के हिसाब से यह भूखंड 31,07,02,480 रुपये की है। एजेंसी ने कहा कि यह अचल संपत्ति सोरेने के ‘कब्जे मेंश् 2020-11 से है। चंपई सोरेन ने दावा किया कि हेमंत सोरेन के साथ घोर नाइंसाफी हुई है। (अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)