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सीडीआरआई के अंशुल यादव और पीडब्ल्यूसी प्राइवेट लिमिटेड के विशेष दल द्वारा बताया गया कि उत्तराखंड में तीन जिलों के सुदूरवर्ती क्षेत्र जहां नेटवर्क कनेक्टिविटी नही

सीडीआरआई के अंशुल यादव और पीडब्ल्यूसी प्राइवेट लिमिटेड के विशेष दल द्वारा बताया गया कि उत्तराखंड में तीन जिलों के सुदूरवर्ती क्षेत्र जहां नेटवर्क कनेक्टिविटी नही है और आपदा घटित होने के कारण दूरसंचार व्यवस्था क्षतिग्रस्त हो जाती है वहां पर तत्काल पुनः कनेक्टिविटी सुचारू किए जाने को लेकर रूपरेखा तैयार की जा रही है। ताकि घटित आपदा में फर्स्ट रिस्पांसिबल के रूप में जो लोग राहत एवं बचाव का कार्य कर रहे उनसे सीधे संपर्क साधकर वास्तविक वस्तुस्थिति का पता लगाया जा सके।

अपर जिलाधिकारी ने कहा कि आपदा घटित होने पर आधारभूत सुविधाएं क्षतिग्रस्त हो जाती है। जिसमें विद्युत प्रमुख है, विद्युत बाधित होने से सबसे पहले नेटवर्क कनेक्टिविटी की समस्या सामने आती है। जिससे वहां की वास्तविक वस्तुस्थिति का पता नही चल पाता है। इसलिए संचार व्यवस्था को सुदृढ़  किए जाने को लेकर टेलीकॉम सेवा प्रदाता के मोबाइल टावरों के पास सोलर प्लांट या अन्य  आधुनिक उपकरण का वैकल्पिक साधन होना चाहिए। ताकि बिजली बाधित होने पर तत्काल उसका प्रयोग कर दूरसंचार सेवा को बहाल किया जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि दूरसंचार सेवा से सुदूरवर्ती गांव के साथ ही सीमांत जनपदों के गांवों को आच्छादित किया जाना अति आवश्यक है। उन्होंने कहा कि मोबाइल टावर स्थापित करने के लिए सर्वप्रथम कानून एवं वन भूमि ही हमेशा आड़े आती है। इस हेतु टेलीकॉम सेवा प्रदाता सरल पालिसी बनाने के लिए रूपरेखा तैयार करें। ताकि उत्तराखंड में भौगोलिक परिस्थितियों के कारण संचार विहीन गांव में दूर संचार की व्यवस्था सुनिश्चित की जा सके।

अपर जिलाधिकारी ने कहा कि आपदा प्रबंधन के साथ ही हर क्षेत्र में नई टेक्नोलॉजी तेजी से आगे बढ़ रही है। इसलिए आपदा प्रबंधन को मजबूत करने व इस क्षेत्र में कार्य कर रहे मेन पावर को भी अपग्रेड करने की आवश्यकता है। बैठक अपर चिकित्साधिकारी डॉ.सीएस रावत, परियोजना निदेशक विक्रम सिंह, सहित पीडब्ल्यूसी प्राइवेट लिमिटेड के अमित, मयंक व अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

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