मऊ:- दोहरीघाट उत्तरवाहिनी मां सरजू के पावन तट पर पांचवा अश्वमेध यज्ञ में मातेश्वरी भक्तों का रेला लगा हुआ है। भक्ति के सागर में सभी भक्त साधना मग्न होकर के गोता लगा रहे हैं । जयकारों के बीच सदगुरु महाराज का प्रवचन आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। अंतर्राष्ट्रीय मातेश्वरी महाधाम के सतगुरु महाराज ने यज्ञ में उपस्थित भक्तों को भक्ति कथा का रसपान कराते हुए कहा कि संत में संकल्प की अधिक शक्ति होती है। वह छोटों को बड़ा और अज्ञानी को ज्ञानी बन सकता है। संत के दर्शन मात्र से ही कल्याण हो जाता है। वर्षों का पाप नष्ट हो जाता है। उन्होंने कथा को आगे बढ़ते हुए कहा कि श्रद्धा से उत्पन्न भक्ति के बिना मनुष्य प्राय अपने जीवन के रास्ते से भटक जाता है। ज्ञान प्राप्त करने के बाद मनुष्य यदि भक्ति में रमता है तो ईश्वर के मार्ग से विचलित नहीं होता है। ज्ञान से मनुष्य को पता चलता है कि कौन सा कार्य करना चाहिए कौन सा कार्य नहीं करना चाहिए। जब तक मनुष्य में भक्ति का उदय नहीं होता है तब तक वह माया के वसीभूत होकर संसार के अंधेरे में भटकता रहता है लेकिन जब वह सच्चे गुरु किस हो जाता है तो गुरु अपने अनुभव से शिष्य को ईश्वर द्वारा बताए गए मार्ग पर चलने का उपदेश देता है। मोक्ष के रास्ते के लिए ज्ञान का पाठ पड़ता है। मनुष्य को चाहिए कि जो ज्ञान प्राप्त करके गंभीरता पूर्वक श्रद्धा के साथ ईश्वर की भक्ति में लीन हो और अपने आत्मा को परमात्मा से जोड़े जीवन नैया को पर लगाने के लिए गुरु की कृपा जरूरी होता है। बिना गुरु के कृपा से नारायण की प्राप्ति नहीं हो सकती है। उक्त अवसर पर राजेश त्रिपाठी विधायक प्रसिद्ध नारायण राय लक्ष्मीकांत श्रीवास्तव प्रभु नाथ यादव शशि सिंह किस्मती देवी शांति देवी सहित भारी संख्या में मातेश्वरी भक्त उपस्थित रहे।
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