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सम्मेलन में बुद्धिजीवियों और ब्यूरोक्रेट्स को किया गया सम्मानित

देहरादून। आज़ादी के अमृत काल में हमें अपने उन स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों, देश की रक्षा करते हुए अदम्य साहस का परिचय देने वाले शहीदों को ज़रूर याद करना चाहिए, जिनके बलिदान से हमें स्वतंत्रता प्राप्त हुई। हमें उनके शौर्य और पराक्रम से आने वाली पीढ़ियों को परिचित कराना चाहिए। यह बात देश के पूर्व रक्षा सचिव डॉ योगेंद्र नारायन ने इंटरनेशनल गुडविल सोसाइटी ऑफ इंडिया के तीसरे क्षेत्रीय सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए कही। मसूरी रोड स्थित एक होटल में आयोजित इंटरनेशनल गुडविल सोसाइटी ऑफ इंडिया के क्षेत्रीय सम्मेलन में देहरादून के विभिन्न क्षेत्रों के दिग्गज बुद्धिजीवी तथा ब्यूरोक्रेट्स ने प्रतिभाग किया। सम्मेलन में उत्तराखंड को सशक्त बनाने और बदलने की चुनौतियाँ विषय पर सेमिनार भी आयोजित किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में इंटरनेशनल गुडविल सोसाइटी के देहरादून चौप्टर के अध्यक्ष डॉ. आर मीनाक्षी सुंदरम, आईएएस ने शिरकत की तथा अध्यक्षता गुडविल सोसाइटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. योगेंद्र नारायण ने की।
कार्यक्रम के गेस्ट ऑफ ऑनर यूजेवीएन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक संदीप सिंघल ने अपने संबोधन में कहा कि जल विद्युत परियोजनाएं उत्तराखंड के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। आर्थिक क्षेत्र की बात करें तो उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्य के लिए जल विद्युत परियोजनाएं राजस्व प्राप्ति का उत्तम स्रोत हैं। यूजेवीएन लिमिटेड की परियोजनाओं द्वारा मात्र 2 रुपए प्रति यूनिट की दर से राज्य को विद्युत आपूर्ति की जा रही है। वार्षिक उत्पादन की बात करें तो हम साल भर में लगभग 5500 मिलियन यूनिट विद्युत उत्पादन कर रहे हैं। इससे न केवल हम राजस्व प्राप्त कर रहे है बल्कि सस्ती बिजली उपलब्ध कराकर राज्य का राजस्व भी बचा रहे हैं। संदीप सिंघल ने कहा कि परियोजनाओं के पूर्ण होने पर लोकल एरिया डेवलपमेंट फंड के अंतर्गत एक निश्चित धनराशि परियोजना प्रभावित क्षेत्रों के परिवारों हेतु परियोजना के संपूर्ण जीवनकाल तक प्रदान की जाती रहेगी। साथ ही फ्री-पावर के रूप में भी जल विद्युत परियोजनाओं द्वारा प्राप्त धनराशि राज्य के विकास में सहयोग प्रदान करती है। श्री सिंघल ने कहा कि जल विद्युत परियोजनाएं स्वच्छ, हरित एवं रिन्युएबल स्रोत होने के कारण ऊर्जा के अन्य स्रोतों के मुकाबले राज्य के पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं। संदीप सिंघल ने कहा कि जल विद्युत परियोजनाएं राज्य के आर्थिक, सामाजिक एवं संरचनात्मक विकास में हमेशा से ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाती आई हैं तथा आगे भी निभाती रहेंगी।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सगंध पौधा केन्द्र  के निदेशक एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. नृपेंद्र चौहान ने कहा कि वैकल्पिक फसल राज्य के किसानों की आर्थिकी बदलने और पर्वतीय क्षेत्रों में रोजगार प्राप्त करने का बड़ा साधन बन सकती है। डॉ चौहान ने कहा कि एरोमैटिक प्लांट्स की खेती करके हमनें 25,000 किसानों की आर्थिकी बदलने का एक सफल मॉडल राज्य में स्थापित कर दिखाया है। आज ये किसान 100 करोड़ रुपए का व्यापार केवल एरोमैटिक प्लांट्स की खेती से कर रहे है। उन्होंने बताया कि दालचीनी और तेजपत्ता एक ऐसा उत्पाद है जिसकी राज्य में बहुतायत खेती की संभावना है। अभी भारत में 900 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष की दालचीनी का आयात होता है। हमने मिशन तेजपत्ता और तिमूर शुरू किया है। राज्य सरकार ने काशीपुर में एक एरोमा पार्क बनाया है जहाँ देश के प्रमुख परफ्यूम उद्योग लग रहे हैं। कार्यक्रम में अपने संबोधन में ओएनजीसी की निदेशक सुषमा रावत ने राज्य के विकास में ओएनजीसी के प्रतिबद्घ योगदान की बात कही। राज्य के वन विभाग के मुखिया रहे जयराज ने कहा कि देश और राज्य की तरक्की के लिय सिविल सोसाइटीज को अपना अहम रोल अदा करना होगा। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में यूसर्क की निदेशक प्रो. अनिता रावत, ओरिएंटल इंश्योरेंस के मुख्य क्षेत्रीय प्रबंधक आमिर खुर्शीद, हरिद्वार सिडकुल मैनुफेक्चरिंग एसोसिएशन के संरक्षक जगदीश लाल पाहवा, तकनीकी शिक्षा विभाग के निदेशक आरपी गुप्ता, वाडिया इंस्टिट्यूट के निदेशक डॉ कलाचंद हैं, सूचना विभाग के उपनिदेशक मनोज श्रीवास्तव, होमगार्ड्स के वरिष्ठ कमांडेंट राजीव सचान, उपस्थित थे। कार्यक्रम का स्वागत भाषण देहरादून चौप्टर के सचिव कुँवर राज अस्थाना ने दिया। उपाध्यक्ष डॉ अजय सक्सेना ने गुडविल सोसाइटी की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला तथा वरिष्ठ उपाध्यक्ष राकेश ओबेरॉय ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ विकास चौबे ने किया। इस अवसर पर इंटरनेशनल गुडविल सोसाइटी की और से विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान देने वाले 20 विभूतियों को तीसरे उत्तराखंड रत्नश्री सम्मान से सम्मानित किया गया। सम्मानित होने वाले महानुभावों में टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड एवं एनएचपीसी लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक आर के विश्नोई, पद्मश्री डॉ. माधुरी बड़थ्वाल, ओएनजीसी लिमिटेड की निदेशक (अन्वेषण) सुषमा रावत, उत्तराखंड राज्य मानवाधिकार आयोग के सदस्य आरएस मीना, आईपीएस (रि), ब्रह्मकुमारीज देहरादून की सब जोनल हेड, ब्रह्मकुमारी मंजू दीदी, निदेशक, चिकित्सा शिक्षा एवं प्राचार्य, राजकीय दून मेडिकल कॉलेज  डॉ. आशुतोष सायना, ओएनजीसी लिमिटेड के मुख्य महाप्रबंधक (मानव संसाधन) रामराज द्विवेदी, एसजेवीएनल इंडिया लिमिटेड के महाप्रबंधक, आशीष पंत, डीआईटी विश्वविद्यालय के कुलपति, प्रो. जी. रघुराम, यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम एंड एनर्जी स्टडीज के कुलाधिपति प्रो. सुनील राय, दून इंटरनेशनल स्कूल समूह के चेयरमैन डीएस मान, पिलग्रिम्स एविएशन की एमडी ईशा सब्बरवाल, सीआईआई, उत्तराखंड की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गर्ग, चिन्मय मिशन, देहरादून की सचिव साधना जयराज, प्रख्यात न्यूरो सर्जन डॉ. महेश कुड़ियाल, सूचना एवं लोकसंपर्क विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. नितिन उपाध्याय, टीचडीसी इंडिया लिमिटेड के कार्यकारी निदेशक एसआर मिश्रा, दून डिफेंस अकादमी के निदेशक संदीप गुप्ता, उत्तराखंड राज्य जैविक उत्पाद परिषद के प्रबंध निदेशक विनय कुमार तथा सीआईएमएस के चेयरमैन एडवोकेट ललित जोशी आदि शामिल रहे।

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