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संदेह के कारण ही बाली व सुग्रीव में था बैरः ऋषिपाल महाराज
गढीपुख्ता के हथछोया में चल रही श्रीरामकथा में उमड़ी भीड़
गढीपुख्ता। गांव हथछोया में चल रही श्री राम कथा में आठवें दिन संत ऋषिपाल महाराज ने बताया कि भगवान श्री राम संघर्षशील एवं स्वार्थहीन है। वें भक्तों के कल्याण के और दुष्टों के संहार के लिए ही अवतरित होते है तथा धर्म के मार्ग का पालन करते हुए समाज को दिखाते है। उन्होंने कहा कि सीता हरण के बाद भगवान राम तथा लक्ष्मण जी बहुत दुःखी हुए और सीता जी की खोज में चल दिए। मार्ग मे उनकी जटायु नाम के एक घायल गिद्ध पक्षी से भेंट हुई यह जटायु सीता जी को छुड़ाने के लिए रावण से लड़ा था। भगवान की गोद मे जटायु जी ने अपने प्राण त्याग दिए और भगवान श्री राम जी ने भी जटायु जी का अपने पिता की भाँति ही अंतिम संस्कार किया। उसके बाद श्रीराम व लक्ष्मण शबरी जी के आश्रम में गए। भगवान ने शबरी जी के झूठे बेर खाए और समाज को यह बताया की जिसमे भक्ति है वही श्रेष्ठ है। शबरी जी भी भगवान राम जी की गोद में ही अपने प्राणों को त्याग कर गुरू लोक को प्राप्त हुई। कथा व्यास ने कहा कि सुग्रीव जी को हनुमान जी के माध्यम से श्री राम जी की प्राप्ति हुई। बाद में भगवान राम ने बाली के अत्याचारों के कारण राम जी ने बाली का वध करके सुग्रीव को राजा बनाया। उन्होंने कहा कि भाई को भाई से प्रेम करना चाहिए नाकि बैर करना चाहिए। बाली और सुग्रीव के बीच बैर होने का जरा सा ही कारण था और वह था केवल सन्देह, जरा से सन्देह के कारण अपने भाई को कभी स्वयं से दूर नहीं करना चाहिए। बाली ने सुग्रीव की पत्नी को भी बल पूर्वक अपने घर में रखा था। राम जी ने उसका वध करके सुग्रीव को पम्पापुर का राजा बना कर धर्म की स्थापना की है। इस मौके पर कार्यक्रम संयोजक नरेश तोमर, अरूण तोमर,गुलाब तोमर, मास्टर सुंदरपाल सिंह तोमर, ईश्वर सिंह तोमर, सुमित कौरी, नकलीराम उपाध्याय, काका शर्मा, जसवीर सिंह, सेठपाल कश्यप भगत, आशुतोष शर्मा आदि मौजूद रहे।