श्री रघुवर रामलीला समिति ठाकुर द्वारा बागपत पर राजा दशरथ अपने मंत्रिमंडल से सलाह कर राम को राजा बनाने की घोषणा करते है तो रानी कोशल्या, केकिई,सुमित्रा अपने महलों को सजाते हुए खुशियां मानती है तभी केक्कई की दासी मंथरा रानी ककई को समझती हे की राम तो राजा बन जायेगा और भरत दास बन जायेगा तो केकई मंथरा को खूब बुरा भला कहती हे मंथरा केकई को याद दिलाती है की तुमने युद्ध में राजा दशरथ की जान बचाई थी तो दशरथ ने आपको दो वरदान देने की लिए कहा था अब वह समय आ गया है जिसमे पहले वरदान में तो आप भरत को राज माग lo दूजे वरदान में राम को 14वर्षो का वनवास मथरा के कहने पर केकई अपने महलों में अंधेरा कर कोप भजन में चली जाती हे जब दसरथ केकई के महलों में अंधेरा देख कर व्याकुल हो जाते हे तो केकई साफ कहती हे की राम को राज नही वनवास होगा और मेरे भरत को राज होगा दशरथ केकई को खूब मानते हे पर केकई टस से मस नहीं होती राम केकई के कहने पर राम तुम वन जायेगे तो बन ज्याओगे राम जब वनों को प्रस्थान करते हे तो लक्ष्मण v सीता राम सुमंत राम के साथ वनों को प्रस्थान करते हे तो नगर वासी भी राम के साथ वनों की ओर चल देते हे राम उनको सोता छोड़ वनों की ओर प्रस्थान करते हे जिसमे सुमंत फुट फुट कर खूब विलाप करते हे मंचन में अध्क्ष संजय रुहेला,नंदलाल डोगरा,लवी जैन,विनोद गुप्ता,गोपाल वर्मा,सुजीत लखेरा,आशीष रुहेला,संदीप कौशिक,सुमित त्यागी, दीपक,मोनू,बिजेंद्र,सोनू, काकू,सतीश गुप्ता,सतपाल उपाध्याय,नरेश गुप्ता,प्रेमचंद गुप्ता गौरव,कन्हैया ,जोंटी,सहित हजारों दर्शक मौजूद रहे
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