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श्री चंद्रप्रभ दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र मन्दिर में हो रहे 41 दिवसीय विधान के 16 वे दिन श्रद्धालुओं ने मंत्रोच्चारण के साथ 120 अर्ध्य समर्पित किये

बिनौली। बरनावा के श्री चंद्रप्रभ दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र मन्दिर में हो रहे 41 दिवसीय विधान के 16 वे दिन श्रद्धालुओं ने मंत्रोच्चारण के साथ 120 अर्ध्य समर्पित किये।

विधानाचार्य पंडित जयकुमार जैन ने कहा कि संसारी जीव परमात्मा की भक्ति संसार की सुख सुविधाओं के लिए ही करता है, परंतु संसार के सुख इंद्रिय सुख है। इन सुखों की पूर्ति ना आज तक किसी को हुई है ना आगे कभी होने वाली है। धन सत्कर्म से कम उत्पन्न होता है,परंतु सुख और शांति का अनुभव कराता है। अधिक पैसे की अभिलाषा इस जीव को गलत रास्ते पर ले जाती है। गलत रास्ते पर चलने वाला जीव वर्तमान में रहने वाले सुख का परित्याग कर देता है, और कालांतर में दुर्गति का पात्र होता है। आचार्य भगवंत कहते हैं यह जीव पांच पापों की प्रवृत्ति में इतना रचा बचा है, कि अपने आत्मिक सुख को भूल कर अपने परिवार की जिम्मेदारी को भी भूल गया है। भगवान राम जब रावण पर विजय करके लौटे तब अयोध्या राज दरबार में उनसे पूछा गया कि आप रावण का वध करके आए हो तो उन्होंने उत्तर देते हुए कहा कि रावण को मैंने नहीं मारा, उसको तो उसके मैं,अहंकार, घमंड ने मारा है। आज हम थोड़ी सी सुख सुविधाएं भूलकर अधिक सुख की अभिलाषा से विपरीत आचरण करने लगते हैं।

ललित जैन, हिमांशु जैन, संजय जैन, राजेंद्र जैन, सुनीता जैन, सीता जैन, संदीप जैन, विशाल जैन आदि मौजूद रहे।

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