नकुड़। भगवान श्री कृष्ण ने जन्म लेते ही बाल लीलाऐें आरंभ कर दी थी,इसलिए भगवान श्रीकृष्ण को लीला पुरूषोत्तम कहा जाता है। भगवान ने जन्म तो वासुदेव और देवकी के पुत्र के रूप में कंस के कारागार में लिया था। जबकि उनके जन्म की बधाई गोकुल में बाबा नंद और मैया यशोदा के घर में गाई गई थी। ये भगवान की लीला ही थी।
ब्रह्मलीन परम संत श्री बाबा बंसी वाले के आशीर्वाद एवं प्रेरणा से श्री बाबा बंसी वाले सेवा परिवार के तत्वाधान में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के पांचवें दिन कथा व्यास आचार्य रजनीश ने भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का सजीव वर्णन करते हुए बताया कि भगवान श्री कृष्ण की लीला को आज तक कोई भी समझ नहीं पाया है। उन्होंने बताया कि मनुष्य तो मनुष्य उनकी लीलाओं को देवता भी नहीं समझ पाए।
भगवान ने अपनी बाल लीलाओं से सभी को आश्चर्यचकित किया। भगवान ने बालपन में ही अकासुर, बकासुर व पूतना जैसे अनेकांे राक्षसों को मारकर अपने भक्तों को भयमुक्त किया। इसके पश्चात भगवान ने गोकुल में रहते हुए बहुत सी बाल लीलाएंे की, गोवर्धन पर्वत को उंगली पर उठाकर बृजवासियों को इंद्र के प्रकोप से रक्षा की, यमुना नदी में जाकर कालिया नाग का मर्दन किया। उन्होंने मथुरा में जाकर अपने मामा कंस का वध करके उसके कारागार में बंद बहुत से निर्दोष व्यक्तियों को आजाद कराया। कथा में सुरेंद्र कोरी, रघुवीर सैनी, विनोद कुमार, सतपाल गुप्ता, रविंद्र धीमान, राकेश सैनी, प्रमोद सैनी, परमजीत सिंह, सुरेशना देवी, बाला देवी, सरिता सैनी, प्रेरणा, सुधा देवी व बबीता आदि श्रद्धालुओं की मौजूदगी रही।