गुडग़ांव, (अशोक)। शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में श्रीमदभागवत का आयोजन किया जा रहा है। इसी क्रम में बादशाहपुर के बड़ा बाजार स्थित गोविंद मंदिर में श्री लाडली जू गौसेवा धाम के तत्वावधान में श्रीमदभागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु कथा श्रवण करने पहुंच रहे हैं।
समाजसेवी राजेश सिंह का कहना है कि श्रीमद्भागवत कथा में कथावाचक प्रिया किशोरी ने नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की, हाथी घोड़ा पालकी भजन के साथ भगवान श्री कृष्ण के जन्म उत्सव की कथा सुनाई। प्रिया किशोरी ने बताया कि मथुरा के राजा उग्रसेन का पुत्र कंस पाप कर्म में संलग्न हो कर संत, ब्राह्मण, गो एवं संसार के समस्त प्राणियों को कष्ट देता था। कंस के भय से व्यथित होकर गोमाता, पृथ्वी, संत एवं देवता मिलकर भगवान नारायण के पास जाते हैं और भगवान नारायण से कंस के समस्त दुराचार की कथा बताते हैं।
तब भगवान भक्त वत्सल स्वभाव को चरितार्थ करने के लिए समस्त देवताओं को आश्वस्त करते हुए कंस को समाप्त करने का संकल्प लेते हैं। उन्होंने बताया कि कंस की एक बहन देवकी है और उनका विवाह राजा वासुदेव के साथ होता है। जब कंस अपनी बहन देवकी को विदा करने चला तब आकाशवाणी द्वारा उसे पता चला कि देवकी का 8वां पुत्र कंस का काल होगा। मृत्यु के भय से कंस ने अपनी बहन को ही समाप्त करना चाहा। तब वसुदेव ने कंस को इतना बडा पाप करने से रोका एवं संकल्प लिया कि मैं अपने पुत्रों को तुम्हें समर्पित कर दूंगा। लेकिन तुम देवकी का वध मत करो। उसके बाद कंस देवकी के प्राणों को छोडकर देवकी एवं वसुदेव को कठोर कारावास में डाल देता है।
कालांतर में एक एक करके कंस देवकी वसुदेव के 6 पुत्रों को समाप्त कर देता है। देवकी के गर्भ में 7वें पुत्र के रूप में भगवान शेष के अवतार बलराम आते हैं और भगवान के आदेश पर योग माया शेष अवतारी बलराम को देवकी के गर्भ से रोहिणी के गर्भ में स्थापित कर देती हैं। उसके बाद अष्टम पुत्र के रूप में नारायण देवकी के गर्भ से कृष्ण के रूप में अवतार लेते हैं। श्रद्धालुओं ने कृष्ण जन्मोत्सव पर भजनों पर नृत्य भी किया।