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शुकदेव चरित्र व परीक्षित प्रसंग का कथाव्यास ने संगीतमय शैली में किया वर्णन

गुडग़ांव, (अशोक)। कलयुग के प्रभाव से राजा परीक्षित ने ऋषि श्रृंगी के गले में मरा हुआ सर्प डाल दिया था और ऋषि ने उन्हें श्राप दिया कि ठीक सातवें दिन सर्प के काटने से उनकी मृत्यु हो जाएगी। उसी श्राप के निवारण के लिए वेद व्यास द्वारा रचित भागवत कथा शुकदेव द्वारा सुनाई गई। जिसमें उनका उत्थान हो गया। उक्त उद्गार कथाव्यास पंडित मनमोहन बृजवासी ने श्रीश्याम जनकल्याण ट्रस्ट द्वारा सैक्टर 9ए स्थित श्री गौरीशंकर मंदिर में आयोजित श्रीमदभागवत कथा के दूसरे दिन शुकदेव चरित्र व परीक्षित जन्म प्रसंग का उल्लेख करते हुए व्यक्त किए। कथाव्यास ने संगीतमय शैली में प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि राजा परीक्षित ने 7 दिन भागवत सुनकर किस तरह अपना उद्धार कर लिया। उसी तरह प्रत्येक व्यक्ति को भागवत का महत्व समझना चाहिए।

भागवत अमृत रूपी कलश है। जिसका रसपान करके आदमी अपने जीवन को कृतार्थ कर लेता है। इसलिए जहां भी भागवत होती है। धु्रव चरित्र सृष्टि की रचना पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मनुष्य जीवन आदमी को बार-बार नहीं मिलता है इसलिए इस कलयुग में दया धर्म भगवान के स्मरण से ही सारी योनियों को पार करता है। मनुष्य जीवन का महत्व समझते हुए उन्होंने कहा कि भगवान की भक्ति में अधिक से अधिक समय देना चाहिए। भगवान विष्णु ने पांचवा अवतार कपिल मुनि के रूप में लिया। भक्ति में दिखावा नहीं होना चाहिए। कथाव्यास द्वारा वर्णित प्रसंगों पर श्रद्धालु नृत्य करते दिखाई दिए। कथा का आयोजन प्रतिदिन दोपहर बाद अढ़ाई बजे से किया जा रहा है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु भागवत कथा श्रवण के लिए पहुंच रहे हैं, जिनमें महिलाओं की संख्या भी अच्छी-खासी है। कडक़ड़ाती ठंड भी श्रद्धालुओं के उत्साह को रोक नहीं पा रही है। श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की समस्याओं का सामना न करना पड़े, इसके लिए आयोजकों ने सभी व्यवस्था की हुई हैं। कथा के बाद प्रसाद का वितरण भी प्रतिदिन किया जा रहा है।

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