वृंदावन की तस्वीर संग बदलेगी तकदीर, सिर्फ दर्शन ही नहीं, रोजगार भी देंगे बांके बिहारी

जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस एससी शर्मा की पीठ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले को संशोधित किया, जिसमें मंदिर के आसपास की जमीन के अधिग्रहण के लिए मंदिर के धन के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अब कॉरिडोर बनने से मंदिर में दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं को भीड़भाड़ और अव्यवस्था से काफी हद तक मुक्ति मिल जाएगी। अनुमान है कि कॉरिडोर बनने के बाद एक साथ करीब छह हजार श्रद्धालु दर्शन कर सकेंगे। इसके अलावा, उनके लिए वेटिंग हॉल और पार्किंग जैसी बेहतर सुविधाएं भी उपलब्ध होंगी।

श्रद्धालुओं के लिए होंगी ये सुविधाएं
प्रशासन की ओर से तैयार किए गए नक्शे के अनुसार, कॉरिडोर में श्रद्धालुओं की सुविधा का पूरा ध्यान रखा गया है। यहां चौपहिया और दोपहिया वाहनों के लिए पार्किंग की व्यवस्था होगी, साथ ही पैदल चलने वाले श्रद्धालुओं के लिए भी अच्छे रास्ते बनाए जाएंगे। कॉरिडोर के बाहर सुनरख में पार्किंग बनेगी, जबकि बांके बिहारी मंदिर के सामने और देवराह बाबा घाट पर सस्पेंशन पुल का निर्माण किया जाएगा।

800 वर्ग मीटर में बनेंगीं पूजा की दुकानें
कॉरिडोर के निचले हिस्से में लगभग 800 वर्ग मीटर में पूजा सामग्री की दुकानें बनाई जाएंगी। तोड़ी जाने वाली दुकानों के दुकानदारों को यहां दुकानें दी जाएगी। इसके अतिरिक्त, बांके बिहारी ब्रिज पार्किंग से कॉरिडोर तक लगभग 11 हजार वर्ग मीटर के रास्ते में यात्री विश्राम स्थल, पेयजल, शौचालय, वाई-फाई और फूडकोर्ट जैसी आधुनिक सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी।

मंदिर की ओर जाने के लिए होंगे तीन रास्ते
बांके बिहारी कॉरिडोर तक ई-रिक्शा या गोल्फ कार्ट चलेंगे। मंदिर की ओर जाने के लिए तीन रास्ते होंगे, जिनमें प्रतीक्षा हॉल, सामान घर, प्रसाधन, शिशु देखभाल और चिकित्सा कक्ष जैसी सुविधाएं होंगी। बांके बिहारी कॉरिडोर के निर्माण से रोजगार के भी नए अवसर भी पैदा होंगे। कॉरिडोर के तहत बनने वाली नई दुकानें, यात्री विश्राम स्थल, फूड कोर्ट और पार्किंग जैसी सुविधाओं के संचालन और रख-रखाव के लिए स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा।