रिंग रोड से प्रभावित 200 किसानों को आज भी मुआवजे का इंतजार
रिंग रोड परियोजना से प्रभावित 200 किसानों को आज भी अपनी अवाप्त जमीन के बदले 25 प्रतिशत विकसित भूमि के मुआवजे का इंतजार है। जेडीए के हाथ खड़ा करने के बाद अब पूरा मामला सरकार के पाले में आ गया है। अब मंत्री स्तर पर मुआवजा को लेकर निर्णय किया जाएगा।
रिंग रोड परियोजना से प्रभावित 200 किसानों को आज भी अपनी अवाप्त जमीन के बदले 25 प्रतिशत विकसित भूमि के मुआवजे का इंतजार है। जेडीए के हाथ खड़ा करने के बाद अब पूरा मामला सरकार के पाले में आ गया है। अब मंत्री स्तर पर मुआवजा को लेकर निर्णय किया जाएगा। दरअसल, 47 किलोमीटर लंबी दक्षिणी रिंग रोड के लिए 2005 में जेडीए ने जमीन अवाप्ति की अधिसूचना जारी की थी। इसके लिए अजमेर रोड से टोंक रोड और टोंक रोड से अजमेर रोड तक 360 मीटर में जमीन अवाप्त की गई थी। इसका किसानों ने विरोध करते हुए आंदोलन भी किया। इस दौरान कई किसानों ने जमीन जेडीए को दे दी और उसके बदले 25 प्रतिशत विकसित भूमि ले ली। मगर 200 किसान विकल्प भरना भूल गए और जेडीए ने नगद मुआवजा का अवार्ड जारी करते हुए पैसा न्यायालय में जमा करा दिया।
किसान दे रहे हैं यह तर्क
किसानों का कहना है कि पूर्व कांग्रेस सरकार के समय 19 अगस्त 2011 को एंपावर्ड कमेटी की बैठक हुई थी। इसमें किसानों की जमीन अवाप्ति के बदले 25% विकसित भूमि देने का फैसला हुआ था। लेकिन पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के समय नगद मुआवजा न्यायालय में जमा करा दिया जबकि किसान 25% विकसित भूमि की मांग कर रहे थे।
जेडीए ने हाथ खड़े किए
विकसित भूमि के मुआवजे के लिए किसानों ने जेडीए को पत्र लिखा तो अधिकारियों ने नई अब अवाप्त नीति का हवाला देते हुए विकसित भूमि का मुआवजा देने से मना कर दिया है। अधिकारियों का कहना है कि 1 जून 2022 को सरकार ने खातेदारों को अवाप्ति के बदले जमीन देने की नई नीति जारी की है। इस नीति के बिंदु 14.1 के तहत जिन प्रकरणों में जमीन अवाप्ति के बाद नगद मुआवजा न्यायालय में जमा हो चुका है और योजना की क्रियान्वित हो चुकी है। उन मामलों में अवाप्ति के बदले विकसित भूमि नहीं दी जाएगी। ऐसे में मामला अब सरकार के पास पहुंच गया है और नगरीय विकास विभाग के स्तर पर ही इस प्रकरण पर फैसला लिया जाएगा।