सहारनपुर। कोई दल या अभ्यर्थी ऐसी किसी गतिविधि में शामिल नहीं होगा, जिससे भिन्न जातियों और धार्मिक या भाषाई समुदायों के बीच विद्यमान मतभेद अधिक गंभीर हो सकते हैं या परस्पर नफरत हो सकती है या तनाव पैदा हो सकता है। यदि राजनीतिक दलों की आलोचना की जाए, तो यह उनकी नीतियों और कार्यक्रमों, गत रिकॉर्ड और कार्य तक ही सीमित रखी जाएगी। दलों और अभ्यर्थियों को अन्य दलों के नेताओं या कार्यकर्ताओं की सार्वजनिक गतिविधियों से असंबद्ध निजी जीवन के सभी पहलुओं की आलोचना करने से बचना होगा। असत्यापित आरोपों या मिथ्या कथन के आधार पर अन्य दलों या उनके कार्यकर्ताओं की आलोचना करने से बचना होगा। मत प्राप्त करने के लिए जाति या संप्रदाय की भावनाओं के आधार पर कोई अपील नहीं की जाएगी। मस्जिदों, चर्चों, मंदिरों और पूजा के अन्य स्थलों को निर्वाचन प्रचार के मंच के रूप में प्रयुक्त नहीं किया जाएगा। सभी दल और अभ्यर्थी ऐसी सभी गतिविधियों से ईमानदारी से परहेज करेंगे जो निर्वाचन विधि के अधीन भ्रष्ट आचरण एवं अपराध हैं जैसे कि मतदाताओं को घूस देना, मतदाताओं को डराना-धमकाना, मतदाताओं का प्रतिरूपण, मतदान केंद्रों से 100 मीटर की दूरी के अंतर्गत प्रचार करना, मतदान समाप्त होने के लिए निर्धारित समय के समाप्त होने वाले 48 घंटों की अवधि के दौरान सार्वजनिक सभाएं आयोजित करना और मतदाताओं को मतदान केन्द्रों तक ले जाने और वापस लाने के लिए परिवहन और वाहन उपलब्ध कराना। हर व्यक्ति के शांतिपूर्ण और बाधारहित घरेलू जीवन के अधिकार का सम्मान किया जाएगा, फिर चाहे राजनीतिक दल और अभ्यर्थी उनकी राजनीतिक राय या गतिविधियों से कितने भी अप्रसन्न हों। किसी भी परिस्थिति में उनकी राय अथवा गतिविधियों के खिलाफ विरोध जताने के लिए व्यक्तियों के घर के सामने प्रदर्शन आयोजित करने या धरना देने का सहारा नहीं लिया जाएगा। कोई भी राजनैतिक दल या अभ्यर्थी अपने अनुयायियों को किसी भी व्यक्ति की अनुमति के बिना उसकी भूमि, भवन, परिसर की दीवारों इत्यादि पर झंडा लगाने, बैनर लटकाने, सूचना चिपकाने, नारा लिखने इत्यादि की अनुमति नहीं देगा। राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों द्वारा यह सुनिश्चित किया जाएगा कि उनके समर्थक अन्य दलों द्वारा आयोजित सभाओं और जुलूसों में बाधा खड़ी नहीं करेंगे या उन्हें भंग नहीं करेंगे। किसी राजनैतिक दल के कार्यकर्ता या समर्थक अन्य राजनीतिक दल द्वारा आयोजित सार्वजनिक सभा में मौखिक या लिखित रूप में सवाल पूछकर या अपने दल के पर्चे बाँटकर बाधा उत्पन्न नहीं करेंगे। किसी दल द्वारा उन स्थानों के आसपास जुलूस न निकाला जाए जहाँ अन्य दल की सभाएं आयोजित हो रही हैं। किसी दल के कार्यकर्ता अन्य दल के कार्यकर्ताओं द्वारा लगाए गए पोस्टर नहीं हटाएंगे।
सभाऐंः-दल या अभ्यर्थी स्थानीय पुलिस प्राधिकारियों को किसी भी प्रस्तावित सभा के स्थल और समय के बारे में काफी पहले से सूचित करेंगे ताकि पुलिस यातायात को नियंत्रित करने और शांति और व्यवस्था बनाए रखने के लिए आवश्यक व्यवस्था कर सके। दल या अभ्यर्थी अग्रिम रूप से सुनिश्चित करेगा कि क्या सभा के लिए प्रस्तावित स्थल पर कोई रोक या निषेधाज्ञा लागू तो नहीं है और यदि ऐसे आदेश मौजूद हैं, तो उनका कड़ाई से पालन किया जाएगा। यदि ऐसे आदेशों से किसी रियायत की आवश्यकता हो, तो अग्रिम रूप से इसके लिए आवेदन किया जाएगा और प्राप्त किया जाएगा। यदि किसी प्रस्तावित सभा के संबंध में लाउडस्पीकरों या किसी अन्य सुविधा के उपयोग के लिए अनुमति या अनुज्ञा प्राप्त करने की आवश्यकता है, तो दल या अभ्यर्थी अग्रिम रूप से संबंधित प्राधिकरण के समक्ष आवेदन करेगा और यह अनुमति या अनुज्ञा प्राप्त करेगा। सभा के आयोजक सभा में बाधा खड़ी करने वाले या अन्यथा अव्यवस्था पैदा करने का प्रयास करने वाले व्यक्तियों से निपटने के लिए ड्यूटी पर तैनात पुलिस की निरपवाद रूप से सहायता प्राप्त करेगा। स्वयं आयोजक ऐसे व्यक्तियों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं करेंगे।
जुलूसः-जुलूस का आयोजन करने वाला दल या अभ्यर्थी जुलूस शुरू करने का स्थान और समय, अनुगमन किए जाने वाले मार्गों और जुलूस समाप्त होने का स्थान और समय पहले से ही तय करेगा। साधारण तौर पर कार्यक्रम में कोई परिवर्तन नहीं होगा। आयोजक स्थानीय पुलिस प्राधिकारियों को कार्यक्रम की अग्रिम सूचना देंगे ताकि स्थानीय पुलिस प्राधिकारी आवश्यक व्यवस्था कर सकें। आयोजक यह सुनिश्चित करेंगे कि जिन इलाकों से जुलूस निकालना है, क्या उन इलाकों में कोई प्रतिबन्ध आदेश लागू है और प्रतिबन्ध आदेशों का पालन करेंगे यदि सक्षम प्राधिकारी द्वारा विशेष रूप से रियायत नहीं दी गई है। यातायात संबंधी किन्हीं विनियमों या प्रतिबंधों का भी ध्यानपूर्वक अनुपालन किया जाएगा। आयोजक जुलूस निकालने के लिए अग्रिम रूप से व्यवस्था करने हेतु कदम उठाऐंगे ताकि यातायात में कोई रूकावट या बाधा न आऐ। यदि जुलूस बहुत लम्बा है, तो इसे उचित लंबाई के कई हिस्सों में आयोजित किया जाएगा, ताकि सुविधाजनक अंतरालों पर, विशेष रूप से उन स्थानों पर जहाँ जुलूस को सड़क का चैराहा पार करना है, रुके हुए यातायात को कई चरणों में छोड़ा जा सके जिससे कि यातायात में भारी जाम से बचा जा सके। जुलूस को इस प्रकार से विनियमित किया जाएगा कि जहाँ तक संभव हो यह सड़क के दाहिने तरफ रहे और ड्यूटी पर तैनात पुलिस के निर्देशों और सलाहों का कड़ाई से अनुपालन किया जाएगा। यदि दो या अधिक राजनीतिक दल या अभ्यर्थी जुलूस को समान रास्तों या उसके किसी भाग से एक ही समय पर ले जाने का प्रस्ताव देते हैं, तो यह सुनिश्चित करने के लिए कि दोनों जुलूस आपस में न टकराएं या यातायात में बाधा उत्पन्न न करें, आयोजक अग्रिम रूप से संपर्क करेंगे और अपनाए जाने वाले उपायों के बारे में निर्णय लेंगे। संतोषजनक व्यवस्था पर पहुँचने के लिए स्थानीय पुलिस की सहायता ली जाएगी। इस प्रयोजनार्थ दल पुलिस से यथाशीघ्र संपर्क करेंगे। राजनीतिक दल या अभ्यर्थी, जुलूस में भाग लेने वाले लोगों के पास मौजूद ऐसी वस्तुओं जिनका अवांछनीय लोगों द्वारा विशेष रूप से उत्तेजना के पलों में दुरूपयोग किया जा सकता है, पर अधिकतम संभव सीमा तक नियंत्रण रखेंगे। किसी भी राजनीतिक दल या अभ्यर्थी द्वारा अन्य राजनीतिक दलों के सदस्यों या उनके नेताओं को निरूपित करने वाले पुतले ले जाने, जनता के बीच इन पुतलों को जलाने और इस तरह के अन्य प्रकार के प्रदर्शन का समर्थन नहीं किया जाएगा।
मतदान दिवसः-सभी राजनीतिक दल और अभ्यर्थी शांतिपूर्ण और सुव्यवस्थित मतदान और मतदाताओं को किसी भी तरह से परेशान किए बिना या कोई अड़चन पैदा किए बिना उन्हें अपने मताधिकार का उपयोग करने की पूरी स्वतंत्रता का सुनिश्चय करने के लिए निर्वाचन ड्यूटी पर तैनात अधिकारियों के साथ सहयोग करेंगे। अपने प्राधिकृत कार्यकर्ताओं को उचित बैज और पहचान पत्र प्रदान करेंगे। इस बात पर सहमति देंगे कि उनके द्वारा मतदाताओं को प्रदान की गई पहचान पर्ची सादे (सफेद) कागज पर होगी और उस पर कोई प्रतीक, अभ्यर्थी का नाम या दल का नाम नहीं होगा। मतदान के दिन और इससे अड़तालीस घंटे पहले शराब देने या बांटने से दूर रहेंगे। राजनीतिक दलों और अभ्यर्थियों द्वारा मतदान बूथों के पास लगाए गई शिविरों के निकट अनावश्यक भीड़ इकट्ठा नहीं होने देंगे ताकि दलों के कार्यकर्ताओं और समर्थकों और अभ्यर्थियों के मध्य टकराव और तनाव से बचा जा सके। सुनिश्चित करेंगे कि अभ्यर्थी के शिविर साधारण होंगे। वे कोई पोस्टर, झंडा, प्रतीक, या कोई अन्य प्रचार सामग्री प्रदर्शित नहीं करेंगे। कोई खाद्य सामग्री परोसी नहीं जाएगी अथवा भीड़ को शिविर में जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी और मतदान के दिन वाहनों के यातायात पर लगाए जाने वाले प्रतिबंधों के अनुपालन में प्राधिकारियों का सहयोग करेंगे और उनके लिए अनुज्ञापत्र प्राप्त करेंगे जो उन वाहनों पर स्पष्ट रूप से प्रदर्शित होने चाहिए।
मतदान बूथः-मतदाताओं को छोड़कर ऐसा कोई व्यक्ति मतदान बूथ के भीतर प्रवेश नहीं करेगा जिसके पास निर्वाचन आयोग का कोई मान्य पास नहीं है।
प्रेक्षकः-निर्वाचन आयोग प्रेक्षकों को नियुक्त करता है। यदि अभ्यर्थियों या उनके अभिकर्ताओं को निर्वाचनों के के संचालन के संबंध में कोई विशेष शिकायत या समस्या है, तो उसे प्रेक्षक ध्यान में ला सकते हैं।
सत्ताधारी दलः-केंद्र या राज्य या संबंधित राज्यों का सत्ताधारी दल यह सुनिश्चित करेगा कि इस वजह से शिकायत का अवसर न दिया जाए कि उन्होंने अपने निर्वाचन अभियान के प्रयोजनार्थ अपनी आधिकारिक स्थिति का उपयोग किया है और विशेष रूप से मंत्री से अपने सरकारी दौरों को निर्वाचन संबंधी कार्यों के साथ नहीं जोड़ेंगे और साथ ही निर्वाचन संबंधी कार्यों के दौरान सरकारी मशीनरी या कर्मचारियों का उपयोग नहीं करेंगे। सत्ताधारी दल के हित को बढ़ावा देने के लिए सरकारी विमानों, वाहनों सहित सरकारी परिवहन, मशीनरी और कर्मचारियों का उपयोग नहीं करेंगे। निर्वाचन के संबंध में निर्वाचन सभाएं आयोजित करने के लिए मैदानों इत्यादि जैसे सार्वजनिक स्थानों और हवाई उड़ानों के लिए हेलीपैड्स के उपयोग पर किसी का एकाधिकार नहीं होगा। अन्य दलों और अभ्यर्थियों को उन्हीं नियमों और शर्तों पर ऐसे स्थानों और सुविधाओं का उपयोग करने की अनुमति दी जाएगी जिन नियमों और शर्तों पर सत्ताधारी दल इनका उपयोग करता है। विश्राम गृहों डाक बंगलों या अन्य सरकारी आवासों पर सत्ताधारी दल या उसके अभ्यर्थी का एकाधिकार नहीं होगा और अन्य दलों और अभ्यर्थियों को निपक्ष ढंग से इन आवासों का उपयोग करने की अनुमति दी जाएगी किन्तु कोई भी दल या अभ्यर्थी इन आवासों (उसके अंतर्गत मौजूद परिसरों सहित) का उपयोग अभियान कार्यालय के रूप में या निर्वाचन प्रचार के प्रयोजनार्थ कोई सार्वजनिक सभा आयोजित करने के लिए नहीं करेगा या ऐसा करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। सार्वजनिक राजकोष की लागत पर समाचार पत्रों और अन्य मीडिया में विज्ञापन प्रकाशित करने और निर्वाचन अवधि के दौरान पक्षपातपूर्ण कवरेज के लिए राजनीतिक समाचारों की सरकारी मास मीडिया का दुरुपयोग और सत्ताधारी दल की संभावनाओं को बढ़ाने की दृष्टि से उनकी उपलब्धियों के संबंध में प्रचार करने से सावधानीपूर्वक बचेंगे। मंत्री और अन्य प्राधिकारी आयोग द्वारा निर्वाचनों की घोषणा के समय से विवेकाधीन निधियों से अनुदानों एवं भुगतानों की संस्वीकृति प्रदान नहीं करेंगे। आयोग द्वारा निर्वाचनों की घोषणा के समय से, मंत्री और अन्य प्रधिकारी किसी भी रूप में कोई वित्तीय अनुदान या इससे संबंधित प्रतिज्ञाओं की घोषणा नहीं करेंगे। सरकारी कर्मचारियों के अलावा कोई भी किसी भी प्रकार की परियोजनाओं या योजनाओं का शिलान्यास इत्यादि नहीं करेंगे। सड़कों के निर्माण, पेय जल की सुविधाओं के प्रावधान इत्यादि का कोई वचन नहीं देंगे। सरकारी, सार्वजनिक उपक्रमों इत्यादि में कोई तदर्थ नियुक्ति नहीं करेंगे, जिससे मतदाताओं पर सत्ताधारी दल के पक्ष में प्रभाव पड़ता हो। आयोग किसी निर्वाचन की तारीख घोषित करेगा, जो उस तारीख से आम तौर पर अधिकतम तीन सप्ताह पहले की तारीख होगी जिस दिन इस निर्वाचन के संबंध में अधिसूचना जारी होने की संभावना है। केन्द्र या राज्य सरकार के मंत्री बतौर अभ्यर्थी या मतदाता या प्राधिकृत अभिकर्ता की हैसियत के अतिरिक्त किसी मतदान केन्द्र या मतगणना के स्थान में प्रवेश नहीं करेंगे।
निर्वाचन घोषणा पत्र संबंधी दिशा-निर्देशः-2008 की एसएलपी (सी) संख्या 21455 (एस सुब्रमणियम बालाजी बनाम तमिलनाडु सरकार एवं अन्य) में उच्चतम न्यायालय ने दिनांक पांच जुलाई 2013 के अपने निर्णय में निर्वाचन आयोग को सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के परामर्श से निर्वाचन के घोषणा पत्र की अंतर्वस्तु के संबंध में दिशा-निर्देश तैयार करने का निर्देश दिया है। निर्णय में से उन निर्देशक सिद्धांतों को नीचे उद्धृत किया गया है जो दिशा-निर्देशों को तैयार करने का मार्ग प्रशस्त करेंगे। हालांकि विधि स्पष्ट है कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 123 के अधीन निर्वाचन के घोषणा पत्र के प्रतिज्ञाओं को भ्रष्ट आचरण नहीं समझा जा सकता है, इस वास्तविकता की उपेक्षा नहीं की जा सकती है कि किसी भी प्रकार के मुफ्त उपहारों का वितरण निस्संदेह सभी लोगों को प्रभावित करता है। यह स्वतंत्र और निष्पक्ष निर्वाचनों की जड़ों को काफी हद तक हिला कर रख देता है। निर्वाचनों में निर्वाचन लड़ने वाले दलों और अभ्यर्थियों को समान अवसर प्रदान करने का सुनिश्चय करने के लिए और यह भी देखने के लिए कि निर्वाचन प्रक्रिया में शामिल दल भ्रष्ट न हो जाए, निर्वाचन आयोग पहले भी आदर्श आचार संहिता के अधीन अनुदेश जारी करता रहा है। शक्तियों का वह स्रोत जिसके अधीन आयोग ये आदेश जारी करता है, वह संविधान का अनुच्छेद 324 है जो आयोग को स्वतंत्र और निष्पक्ष निर्वाचन आयोजित करने की जिम्मेदारी सौंपता है। हम इस तथ्य के प्रति सचेत रहते हैं कि आम तौर पर राजनीतिक दल निर्वाचन की तारीख की घोषणा से पहले अपना निर्वाचन घोषणा पत्र जारी कर देते हैं, उस परिदृश्य में, सच तो यह है कि निर्वाचन आयोग को तारीख की घोषणा से पहले किए गए किसी कार्य को विनियमित करने का प्राधिकार नहीं होगा। तथापि, इस बारे में एक अपवाद निर्मित किया जा सकता है क्योंकि निर्वाचन के घोषणा पत्र का प्रयोजन प्रत्यक्ष रूप से निर्वाचन प्रक्रिया से जुड़ा है। माननीय उच्चतम न्यायालय का उपर्युक्त निर्देश मिलने पर, निर्वाचन आयोग ने इस मामले में मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्यीय राजनीतिक दलों से परामर्श के लिए उनके साथ एक बैठक आयोजित की और इस मामले में उनके परस्पर विरोधी दृष्टिकोणों को नोट किया गया। परामर्श के दौरान, कुछ राजनीतिक दलों ने ऐसी दिशा-निर्देशों के जारी होने का समर्थन किया, जबकि अन्य दलों की राय यह थी कि स्वस्थ लोकतांत्रिक शासन पद्धति में घोषणा पत्र में ऐसे प्रस्ताव और वचन देना मतदाताओं के प्रति उनका अधिकार और कर्तव्य है। यद्यपि आयोग इस दृष्टिकोण से सिद्धांततः सहमत है कि घोषणा पत्र तैयार करना राजनीतिक दलों का अधिकार है, फिर भी आयोग स्वतंत्र और निष्पक्ष निर्वाचनों के संचालन और सभी राजनीतिक दलों और अभ्यर्थियों को समान अवसर प्रदान करने पर कुछ प्रस्तावों और वचनों के अवांछनीय प्रभावों की उपेक्षा नहीं कर सकता है।
संविधान का अनुच्छेद 324 निर्वाचन आयोग को अन्य के साथ-साथ संसद और राज्य विधान मंडलों का निर्वाचन संचालित करने का अधिदेश देता है। उच्चतम न्यायालय के उपर्युक्त निर्देश को समुचित रूप से ध्यान में रखते हुए और राजनीतिक दलों के साथ परामर्श करने के बाद, स्वतंत्र और निष्पक्ष निर्वाचनों के हित में आयोग एतदद्वारा निर्देश देता है कि राजनीतिक दल और अभ्यर्थी संसद या राज्य विधान मंडलों के किसी भी निर्वाचन के लिए निर्वाचन घोषणा पत्र जारी करते समय निम्नलिखित दिशा-निर्देशों का पालन करेंगे। निर्वाचन घोषणा पत्र में संविधान में प्रतिष्ठापित आदर्शों और सिद्धांतों के विरूद्ध कुछ भी शामिल नहीं होगा और इसके अतिरिक्त यह आदर्श आचार संहिता के अन्य उपबंधों के साथ सुसंगत होगा। संविधान में प्रतिष्ठापित राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत राज्य को नागरिकों के कल्याण के लिए विभिन्न उपाय तैयार करने का आदेश देते हैं और इसलिए निर्वाचन घोषणा पत्र में ऐसे कल्याण के वचनों के प्रति कोई आपत्ति नहीं हो सकती है। तथापि, राजनीतिक दलों को ऐसे वादे करने से परहेज करना चाहिए जिससे निर्वाचन प्रक्रिया की पवित्रता दूषित हो सकती है या अपने मताधिकार का उपयोग करने में मतदाताओं पर अनुचित प्रभाव पड़ सकता है। पारदर्शिता, समान अवसर और वादों की विश्वसनीयता के हित में, यह आशा की जाती है कि घोषणा पत्र में वादों की तार्किकता भी प्रतिबिंबित होगी और मोटेतौर पर इसके लिए आवश्यक वित्त प्राप्त करने के तरीके और साधन विस्तृत रूप से इंगित होंगे। केवल उन वादों पर मतदाताओं का भरोसा हासिल किया जाना चाहिए जिन्हें पूरा किया जाना संभव हो।
निर्वाचन के दौरान घोषणा-पत्र जारी करने की निषिद्ध अवधिः-एकल चरणीय निर्वाचनों के मामले में, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126 के अंतर्गत यथा-विहित निषिद्ध अवधि के दौरान घोषणा-पत्र जारी नहीं किए जाएंगे। बहु-चरणीय निर्वाचनों के मामले में, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126 के अंतर्गत, निर्वाचनों के सभी चरणों के लिए यथा-विहित निषिद्ध अवधियों के दौरान घोषणा-पत्र जारी नहीं किए जाएंगे।