मुजफ्फरनगर की गौशाला में बनाई गई 35 फीट लंबी गोवर्धन की प्रतिमा,उमड़ा लोगों का हुजूम
मुजफ्फरनगर। गोवर्धन पर्व पर उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जनपद में स्थित एक गौशाला में हर वर्ष की भांति इस बार भी गोबर से 35 फीट लंबी विशालकाय गोवर्धन की प्रतिमा बनाई गई है। बताया जा रहा है कि इस प्रतिमा को 7 लोग ने 10 घंटे प्रतिदिन काम करके 8 दिन में तैयार किया है। जिसे देखने के लिए यहाँ लोगो का हुजूम उमड़ता है।
दरअसल आपको बता दे कि नई मंडी कोतवाली क्षेत्र में स्थित नई मंडी गौशाला सन 1926 में बनाई गई थी तभी से लेकर आज तक इस गौशाला में गोवर्धन पर्व पर भगवान गोवर्धन की विशाल प्रतिमा को गोबर मिट्टी से तैयार किया जाता है जिसे देखने के लिए लोगों की भीड़ यहां इकट्ठा होती है। पिछले 20-22 सालों से गोवर्धन की इस प्रतिमा को हर साल तैयार करने वाले पंकज कुमार नाम के व्यक्ति ने बताया कि इसमें करीब 8 दिन लगे हैं और 6-7 आदमी लगातार 10-10 घंटे काम कर रहे थे। इसको बनाने में एक ट्रैक्टर ट्राली मिट्टी व एक ट्रैक्टर ट्राली गोबर और 1500 ईट व रंग रोगन आदि इसमें लगे हैं, यह 35 फीट की प्रतिमा है, इसकी खासियत यही है कि गोवर्धन पूजा पर गोबर से बनाई गई इतनी बड़ी प्रतिमा उत्तर प्रदेश में यही बनती है।
हमने कहीं और इतनी बडी प्रतिमा बनते हुए नहीं देखी है। प्रतिमा बनती तो हर जगह गोबर से ही है, एवं हर घर में बनती है। लेकिन इतनी बड़ी प्रतिमा गोबर से जल्दी से कहीं नहीं बनती है, लगभग 21 वर्षों से हम इस प्रतिमा को लगातार बनाते आ रहे हैं एवं इसे बनाने में पूरा मजा आता है, लगभग दो दिनों में एक लाख आदमी इसके दर्शन कर लेता है एवं भारी संख्या में लोग आते हैं।
गौशाला के सचिव श्यामसुंदर अग्रवाल ने बताया कि हमारी गौशाला 1926 से इस नई मंडी में स्थापित हुई है और तब से आज तक इसी तरह यहां पर गोवर्धन पर्व मनाया जा रहा है, हमारे गोवर्धन की कई सारी खास बातें हैं एक तो इतनी विशाल प्रतिमा बनती है जो पूरे पश्चिम उत्तर प्रदेश में कहीं नहीं बनती है एवं लगभग 35 फीट के गोवर्धन जी हमारे बनते हैं एवं उसे बनाने के लिए कारीगर भी स्पेशल होते हैं और लगभग 20-22 साल से एक ही कारीगर पंकज इसको यहां बना रहे हैं और लगातार निरंतर सेवाएं कर रहे हैं।
गोवर्धन जी को बनाने के लिए 10 से 15 दिन का समय लगता है एवं आप अभी भी देख रहे हैं कि कार्य चल ही रहा है जो लगभग शाम तक पूरा हो जाएगा, श्रद्धालु बहुत संख्या में आते हैं एवं रात को 12-01 बजे हमें जबरदस्ती गेट बंद करने पड़ते हैं एवं आसपास के गांव व कस्बे से और आसपास के शहरों से इस पर्व को मनाने के लिए खूब लोग आते हैं।