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मुंशी प्रेमचंद जयंती : कथा सम्राट मुंशी जी को विविध रूप में याद किया गया

प्रख्यात साहित्यकार एवं कथाकर मुंशी प्रेमचन्द की जयंती के अवसर पर आज गोरखपुर में विविध नाटकों एवं साहित्य की गोष्ठियों में के माध्यम से उन्हें याद किया गया।

गोरखपर। प्रख्यात साहित्यकार एवं कथाकर मुंशी प्रेमचन्द की जयंती के अवसर पर आज गोरखपुर में विविध नाटकों एवं साहित्य की गोष्ठियों में के माध्यम से उन्हें याद किया गया।
मुख्य रूप से दो दशकों से भी अधिक समय से मुंशी प्रेमचन्द की जयंती के अवसर पर इप्टा द्वारा उनकी कालजयी कहानियों का नाट्य स्पान्तरण कर इनका मंचन किया जाता रहा है। इसी क्रम में आज प्रेमचन्द की कहानी ‘मीकू’ की नाटय प्रस्तुति का निर्देशन इप्टा के प्रान्तीय सचिव डा. मुमताज खान द्वारा किया गया। इस अवसर पर प्रमुख साहित्यकार एवं रंगमर्की मौजूद थे।
इसी क्रम में दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविधालय के हिन्दी विभाग में साहित्यकारों द्वारा व्याख्यान आयोजित किये गये। साहित्यकारों ने कहा कि समाज की बारिकियों को अपनी ऐतिहासिक कृतियों में बेहद खूबसूरती से पिरोने वाले कथाकार-उपन्यासकार मुंशी प्रेमचन्द के विचारों की प्रासंगिकता से शायद ही कोई इंकार कर सकता है। दुखद पहलू यह है कि प्रासंगिकता होने के बावजूद उनकी कृतियां नयी पीढ़ी तक नहीं पहुंच पा रही हैं।
अध्ययन के दायरे में आने वाली कहानियों और उपन्यासों को तो नयी पीढ़ी जरूरत समझकर पढ रही है लेकिन उनकी अन्य मशहूर कृतियों को पढ़ने की ललक इन युवाओं में नहीं दिख रही है। 31 जुलाई 1880 में वाराणसी के समीप लमहीं गांव में पैदा हुए प्रख्यात साहित्यकार मुंशी प्रेमचन्द का बचपन और आधा रचना संसार पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर की धरती से जुड़ा है।

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