सरसावा। छठ मैया पर्व के तीसरे दिन सोमवार को महिलाओं ने जलाशय में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देते हुए उपवास खोल लिया। महिलाओं ने सूर्य को अर्घ्य देते हुए अपने नौनिहालों की लम्बी उम्र की कामना की। सोमवार को शुगर मिल स्थित श्री सनातन शिव मंदिर में महिलाओं ने विधि विधान के साथ सूर्य को अर्घ्य देते हुए अपना उपवास खोल लिया।
उसके बाद मंदिर में बनी छठ मैया की विधि-विधान के साथ पूजा आराधना की। छठ मैया की पूजा एवं कथा कराते हुए आचार्य कुलदीप ने कहा कि भगवान सूर्य की उपासना से राजा प्रियवंद दम्पति को संतान प्राप्ति हुई थी। कहा जाता है कि बहुत समय पहले की बात है राजा प्रियवंद और रानी मालिनी की कोई संतान नहीं थी। महर्षि कश्यप के निर्देश पर इस दंपति ने यज्ञ किया,जिसके चलते उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई। दुर्भाग्य से यह उनका बच्चा मरा हुआ पैदा हुआ।
इस घटना से विचलित राजा-रानी प्राण छोड़ने के लिए आतुर होने लगे। उसी समय भगवान ब्रह्मा की मानस पुत्री देवसेना प्रकट हुईं। उन्होंने राजा से कहा कि क्योंकि वो सृष्टि की मूल प्रवृति के छठे अंश से उत्पन्न हुई हैं इसी कारण वो षष्ठी कहलातीं हैं। उन्होंने बताया कि उनकी पूजा करने से संतान सुख की प्राप्ति होगी। राजा प्रियंवद और रानी मालिनी ने देवी षष्ठी की व्रत किया और उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई। कहते हैं ये पूजा कार्तिक शुक्ल षष्ठी को हुई थी। तभी से छठ पूजा होती है। पूजा में हरेलाल, बीसन देव, परमात्मा, बीरबल यादव, बलराम, गोरख प्रसाद, बिहारी प्रसाद, राजकमल, विशाल, धीरज आदि मौजूद रहे।