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बुर्ज खलीफा पर भारत के और पीएम मोदी के सम्मान में ‘गेस्ट ऑफ ऑनर-रिपब्लिक ऑफ इंडिया’ लिखा गया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय यात्रा पर संयुक्त अरब अमीरात की राजधानी अबू धाबी में हैं. अबू धाबी में कूटनीतिक बैठकों का दौर जारी है. यूएई दौरे पर पीएम मोदी वर्ल्ड गवर्नमेंट समिट को भी संबोधित करेंगे. पीएम मोदी के संबोधन से पहले दुबई के बुर्ज खलीफा को तिरंगे की रोशनी से सजाया गया.

दुनिया की सबसे ऊंची इमारत बुर्ज खलीफा भारतीय तिरंगे के रंगों से सराबोर हो गया. पीएम मोदी के वर्ल्ड गवर्नमेंट समिट में संबोधन से पहले यूएई में तमाम तरह की तैयारियां की गई हैं. इसी बीच बुर्ज खलीफा पर भारत के और पीएम मोदी के सम्मान में ‘गेस्ट ऑफ ऑनर-रिपब्लिक ऑफ इंडिया’ लिखा गया. पीएम मोदी ने कल अबू धाबी में अहलन मोदी कार्यक्रम को संबोधित किया था. अपने भाषण की शुरुआत करते हुए पीएम मोदी ने भारत और यूएई के बीच संबंधों की जमकर तारीफ की थी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूएई विजिट के दौरान मंगलवार को यूएई के राष्ट्रपति से मिले थे. इस दौरान द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत हुई. दुबई के क्राउन प्रिंस शेख हमदान बिन मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम ने पीएम मोदी का गर्मजोशी से स्वागत किया. उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच मजबूत संबंध अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए एक मॉडल के रूप में काम करते हैं. एक्स पर दुबई के क्राउन प्रिंस ने कहा कि हम इस साल के विश्व सरकार शिखर सम्मेलन में सम्मानित अतिथि भारत गणराज्य और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गर्मजोशी से स्वागत करते हैं. हमारे बीच मजबूत संबंध हैं. राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए एक मॉडल के रूप में कार्य करते हैं. विश्व सरकार सम्मेलन शासन की सर्वोत्तम प्रथाओं, सफलता की कहानियों और पहलों को साझा करने और सरकार के भविष्य की कल्पना करने के लिए दुनिया के अग्रणी प्लेटफॉर्मों में से एक के रूप में विकसित हुआ है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी कैंपस के छात्रों के पहले बैच के साथ भी बातचीत की और दोनों देशों के छात्रों को एक साथ लाने की परियोजना की सराहना की थी. वहीं अब पीएम मोदी अबू धाबी में पश्चिम एशिया के सबसे बड़े हिंदू मंदिर का उद्घाटन भी करेंगे. 700 करोड़ की लागत से नागर शैली में गुलाबी बलुआ पत्थरों से बने इस भव्य मंदिर की ऊंचाई 108 फुट है और 402 स्तंभों पर खड़ा किया गया है. 27 एकड़ में फैले इस मंदिर में भी अयोध्या के राममंदिर की तरह ही स्टील और लोहे का प्रयोग नहीं किया गया है. पांच सालों में यह अद्भुत मंदिर बनकर तैयार हुआ.

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