गुडग़ांव। अपना नया कारोबार शुरु करने जा रहे बेरोजगार युवाओं को जीएसटी नंबर मिलने में बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। विभाग द्वारा नए-नए कायदे-कानून लगाकर उनके आवेदन को निरस्त किया जा रहा है। जिससे ऐसे युवाओं में जो रोजगार शुरु करना चाहते हैं, उनमें रोष व्याप्त होता जा रहा है। एमएसएमई वेलफेयर फाउण्डेशन के अध्यक्ष व कर सलाहकार पंकज वर्मा का कहना है कि उक्त विषय पर अब उनके द्वारा व टैक्स बार के पदाधिकारी एडवोकेट दीपक कटारिया तथा पीयूष शर्मा ने अलग-अलग जीएसटी प्रदेश व केंद्र आरटीआई के माध्यम से सूचना मांगी है। जिसमें मांग की गई है कि इस वर्ष जनवरी से मार्च तक विभाग ने जीएसटी पंजीकरण के कितने आवेदन प्राप्त किए। कितने आवेदनों पर ऐतराज लगाया गया और कितने आवेदन रद्द किए गए। यानि कि कितने बेरोजगारों को व्यापार करने के अधिकार से वंचित रखा गया। उनका कहना है कि पिछले कई दिनों से विभाग हर आवेदन पर आपत्तियां लगा रहा है। जिसका जीएसटी पंजीकरण फार्म में कोई जिक्र भी नहीं है। जिसके कारण ये युवा नया कारोबार नहीं शुरु कर पा रहे हैं। जीएसटी में कार्यरत अधिकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ईज ऑफ डूइंग बिजनेस योजना को पलीता लगाने में जुटे हैं। उनका कहना है कि व्यापारी को ऐसे नोटिस जारी किए जाते हैं जो व्यापारी की समझ से बाहर हैं जिस कारण उसे विभाग के चक्कर लगाने पड़ते हैं। प्रधानमंत्री की सोच थी कि जीएसटी लगा दिया जाएगा तो व्यापारियों को अधिकारियों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। यानि कि भ्रष्टाचार पर रोक लगाई जा सकेगी। लेकिन अधिकारी कोई न कोई रास्ता निकालकर इंस्पेक्टर राज वापिस लौटाने में तत्पर दिखाई दे रहे हैं। उनका यह भी कहना है कि केंद्रीय वित्त मंत्री व वित्तमंत्रालय तथा प्रदेश के मुख्यमंत्री को भी ट्वीट के माध्यम से कई बार इस संबंध में सूचित किया जा चुका है, लेकिन कहीं से कोई जबाव आज तक नहीं आया है। ऐसे में नए कारोबारी अपना कैसे नया कारोबार शुरु करें, यह विचारणीय है।
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