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पूंजीगत परिसम्पत्तियों के सृजन में अभिवृद्धि राज्य की शीर्ष प्राथमिकताः वित्त मंत्री

देहरादून। वित्तमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि पूंजीगत परिसम्पत्तियों के सृजन में अभिवृद्धि राज्य की शीर्ष प्राथमिकता है। सुनहरे भविष्य के लिए निजी क्षेत्र में निवेश की वृद्धि के साथ-साथ सार्वजनिक निवेश में वृद्धि के लिए विशेष प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार में भी राज्यों में निवेश को बढ़ावा देने के लिए “स्कीम फॉर स्पेशियल एसिस्टेटस टू स्टेट्स फॉर कैपिटल इन्वेस्टमेंट 2023-24“ के अन्तर्गत राज्यों के लिए सितम्बर 2023 तक पूंजीगत व्यय के लक्ष्य निर्धारित किये है। इसी क्रम में उत्तराखण्ड राज्य के लिए वार्षिक लक्ष्य 8797 करोड का 45 प्रतिशत पूंजीगत व्यय करने का लक्ष्य था। इस प्रकार लगभग 4000 करोड़ के पूंजीगत व्यय का लक्ष्य था।
मंत्री ने कहा कि इस चुनौतीपूर्ण लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए वित्त विभाग ने विशेष प्रयत्न किए। बजट प्रावधान के अनुरूप धनराशि आवंटन करने के साथ-साथ पुर्नवियोग, आकस्मिकता निधि व अनुपूरक बजट के माध्यम से आवश्यकतानुसार प्रावधान सुनिश्चित किये गये। उन्होंने कहा कि अधिकारों के प्रतिनिधायन में शिथिलता प्रदान की गई। पुनःश्च मा० मुख्यमंत्री जी की अध्यक्षता में समीक्षा बैठक कराई गयी। सम्बन्धित विभागों को समयबद्ध रूप से पूंजीगत व्यय करने हेतु प्रेरित किया गया।

वित्त मंत्री ने कहा कि ऐतिहासिक प्रवृत्ति के आधार पर यह लक्ष्य चुनौतीपूर्ण था। विगत वर्षों में प्रथम 6 माह में अधिकतम 2805 करोड़ का ही पूंजीगत व्यय किया गया था। महालेखाकार से प्राप्त आंकडों के आधार पर वर्ष 2019-20, 2020-21 2021-22, 2022-23 में क्रमशः रू० 1695 करोड़, रू० 1082 करोड़, रू० 2805 करोड़ व रू0 2138 करोड का पूंजीगत व्यय किया गया।
मंत्री ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2023-24 के प्रारम्भिक महीनों में पूंजीगत व्यय की प्रगति धीमी थी। वित्त विभाग के तत्वावधान में गहन समीक्षा के उपरान्त पूंजीगत परिव्यय में तेज वृद्धि देखी गई। उन्होंने कहा कि इन प्रयासों के फलस्वरूप सुखद परिणाम आने लगे। 29 सितम्बर 2023 तक लगभग रू0 4800 करोड़ (4798 करोड़) पूंजीगत परिव्यय हो गया है। मंत्री ने कहा कि इस ऐतिहासिक उपलब्धि से जहाँ एक ओर “स्कीम फॉर स्पेशियल एसिस्टेटस टू स्टेट्स फॉर कैपिटल इन्वेस्टमेंट 2023-24“ की तृतीय किस्त पाने के लिए राज्य अर्ह हो गया है वहीं दूसरी और यह पूंजीगत निवेश के क्षेत्र में राज्य की नई क्षमता का प्रतीक है।

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