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परिवार नियोजन में पुरुषों की भागीदारी बढ़ाने के लिए महिला सर्जन की सकारात्मक पहल

मुजफ्फरनगर। समाज में भ्रांतियों के कारण कम ही पुरुष नसबंदी सेवाओं के लिए हिम्मत जुटा पाते हैं। इन प्रचलित भ्रांतियों के बारे में लोगों को सही जानकारी देने और उन्हें सेवाओं के लिए प्रेरित करने की आवश्यकता है। यह कहना है जिला मुजफ्फरनगर के पुरुष अस्पताल की सर्जन डॉ. चारु ढल का।

जिला अस्पताल मुजफ्फरनगर में सर्जन के पद पर कार्यरत डॉ चारु ढल बघरा, चरथावल, पुरकाज़ी और सदर ब्लॉकों के साथ- साथ जिला अस्पताल पर भी महिला एवं पुरुष नसबंदी की सेवाएँ प्रदान कर रही है। डॉ चारु उन कर्मठ सेवा प्रदाताओं में से हैं जो लाभार्थियों को परिवार नियोजन संबंधी परामर्श और सेवाएं देने के लिए हमेशा तत्पर रहती हैं। उन्होंने वित्तीय वर्ष 2022-23 में कुल 1021 महिला नसबंदी और 25 पुरुष नसबंदी सेवाएं प्रदान की हैं। वह पुरुष नसबंदी में प्रशिक्षित होने के बावजूद शुरुआत में पुरुषों को सेवा प्रदान करने में असहज थी, परंतु जनपद स्तर पर उन्हें प्रेरित किए जाने के उपरांत आज वह महिलाओं के साथ-साथ पुरुषों को भी नसबंदी की सेवाएं प्रदान कर रही हैं।
जनपद स्थित स्वास्थ्य केन्द्रों पर महिला नसबंदी के लिए आने वाली महिलाओं में से कुछ महिला लाभार्थी चिकित्सकीय मापदंडों के आधार पर एवं किसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या के कारण नसबंदी सेवाओं के लिए उपयुक्त नहीं होती थी, तो अक्सर उन्हें बैकप साधन देकर वापस घर भेज दिया जाता था। ऐसी स्थिति में न सिर्फ लाभार्थी बल्कि आशा कार्यकर्ताओं का भी काफी समय खराब हो जाता था और मायूसी अलग होती थी।

डॉ चारु ने इस स्थिति को गंभीरता से लेते हुए उन महिलाओं जिनकी नसबंदी नहीं हो सकती थी, उनके पतियों को उसी दिन बुलवाकर उन्हें सकारात्मक परामर्श देकर पुरुष नसबंदी के लिए प्रेरित किया और सेवा प्रदान करना शुरू किया। इस प्रक्रिया में सबसे पहले उन्होंने उन्हीं महिलाओं को भी पुरुष नसबंदी के बारे में बताना शुरू किया ताकि पुरुष नसबंदी को लेकर संबंधित भ्रांतियों पर उनकी समझ भी बेहतर बन सके। फिर उनके पतियों को बुलाकर उन्हें महिला की चिकित्सीय स्थिति की गंभीरता एवं पुरुष नसबंदी के बारे में परामर्श देकर सेवा प्रदान करना शुरू कर दिया। वर्तमान में डॉ चारु पुरुष नसबंदी सेवा प्रदान कर रही हैं। इस प्रकार वह इस वर्ष अभी तक कुल 130 महिला नसबंदी एवं चार पुरुष नसबंदी सेवाएं प्रदान कर चुकी हैं।

जिला परिवार नियोजन विशेषज्ञ खालिद हुसैन ने बताया कि आशा-एएनएम घर-घर तक परिवार नियोजन सेवाओं की जानकारी पहुंचा रही हैं और दो बच्चों के जन्म के बीच सुरक्षित तीन वर्ष के अंतर का महत्व भी बता रही हैं। उन्होंने बताया दो बच्चों के जन्म के बीच सुरक्षित अंतर मां और शिशु, दोनों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए जरूरी है।
ब्लॉक पुरकाजी की महिला लाभार्थी (काल्पनिक नाम सुमन)ने बताया- “ डॉक्टर ने जांच के बाद कहा कि स्वास्थ्य समस्या के कारण मेरी नसबंदी नहीं हो सकती है इसलिए तुम अपने पति को बुलवा लो। यह बात सुनकर मेरी चिंता बढ़ गई कि अब जिंदगी भर किसी और साधन का उपयोग करना पड़ेगा। बहुत खराब लगा कि सुबह से उठकर बिना खाये पिये आए हैं। अब नसबंदी नहीं हो रही और घर वापस जाना पड़ेगा। फिर उन्होंने पुरुष नसबंदी के बारे में बताया कि तुम्हारी नसबंदी तो नहीं हो सकती तुम्हारे पति का चेकअप कर लेते है उन्हें बुलवा लो।”
वहीं सुमन के पति ने बताया – “अस्पताल से पत्नी का कॉल आया तो मैं बहुत चिंता में था कि पता नहीं क्या हो गया। देखा तो पत्नी आराम से बैठी थी। पत्नी ने सारी बात बताई, फिर मैं डॉक्टर से मिला। उन्होंने मुझे कि तुम्हारी पत्नी की नसबंदी नहीं हो सकती उन्होंने पुरुष नसबंदी के बारे में भी समझाया। पता चला कि यह तो बहुत आसान व सरल है और नसबंदी के बाद खुद घर चल कर जा सकता हूँ। मैंने तुरंत अपना मन बनाया और अपनी नसबंदी करा ली।”

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