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देव शास्त्र गुरु की आराधना करो : मुनि विशुभ्र सागर

जैन संत आचार्य श्री विहर्ष सागर जी महाराज के सुशिष्य मुनि श्री विशुभ्र सागर जी महाराज ने अजितनाथ धर्मशाला मंडी बड़ौत मे आयोजित धर्मसभा मे मंगल प्रवचन देते हुए कहा कि प्रभु की भक्ति ही भव सागर से पार उतारती है।

बागपत। जैन संत आचार्य श्री विहर्ष सागर जी महाराज के सुशिष्य मुनि श्री विशुभ्र सागर जी महाराज ने अजितनाथ धर्मशाला मंडी बड़ौत मे आयोजित धर्मसभा मे मंगल प्रवचन देते हुए कहा कि प्रभु की भक्ति ही भव सागर से पार उतारती है।

आज का मनुष्य बहुत व्यस्त हो गया है। उसे सांसारिक कामो के लिए तो समय है, लेकिन देव शास्त्र गुरु की भक्ति के लिए नही। वह भोग विलास मे डूबा हुआ है। दिन रात पैसों के पीछे भागता रहता है, लेकिन उसे यह नही पता कि सच्चे मन से प्रभु की भक्ति करने से सभी संसारिक सुखो की स्वयं ही प्राप्ति हो जाती है। जो व्यक्ति प्रतिदिन जिन प्रतिमा का अभिषेक करते हैं,पूजन करते है, उनके भंडार सदा भरे रहते हैं। इसलिए आलस्य छोड़ो और प्रभु भक्ति कर अपना मानव जीवन सार्थक करो, तभी तुम्हारा मानव जीवन सार्थक है। दसलक्षण पर्व के 10 दिनों मे प्रभु की भक्ति करो, विधान करो, और पुण्य अर्जन करो,तुम्हारा भंडारा सदा भरा रहेगा। सभा मे मुनि विश्वार्क सागर जी महाराज ने भी प्रवचन दिया। संचालन पंडित श्रेयांस ने किया। सभा में सुभाष जैन, मुकेश जैन, प्रदीप जैन, वरदान जैन, हंस कुमार जैन, शशि जैन, वकील चंद जैन, हंस कुमार जैन, मनोज जैन, विकास जैन, राकेश जैन, बालकिशन जैन,अंकुर जैन, अनिल जैन आदि उपस्थित थे।

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