राजनीति

दंगे नहीं, कानून से चलेगा देश: डॉ. इंद्रेश बोले “सच सामने आने पर कई नेताओं की राजनीति खत्म”

आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक और मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के मार्गदर्शक डॉ. इंद्रेश कुमार ने एक कार्यक्रम के दौरान संभल में हुई हिंसा को चुनाव में पराजित नेताओं की साजिश करार दिया।

आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक और मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के मार्गदर्शक डॉ. इंद्रेश कुमार ने एक कार्यक्रम के दौरान संभल में हुई हिंसा को चुनाव में पराजित नेताओं की साजिश करार दिया। उन्होंने सपा सांसद जिया उर रहमान वर्क पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने मुस्लिम समाज को भड़काकर हिंसा के रास्ते पर धकेला।
डॉ. इंद्रेश ने कहा, “एक ओर कानून पर भरोसा जताने की बात की जाती है और दूसरी ओर दंगे भड़काए जाते हैं। यह कौन सा कानून और इंसानियत है? यदि पत्थर फेंकने थे, तो अपनी कमेटी और नेताओं पर फेंकते। देश कानून से चलता है, दंगों से नहीं।”

राजकीय इंटर कॉलेज ऑडिटोरियम में आयोजित ‘आओ जुड़ें अपनी जड़ों से’ कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए डॉ. इंद्रेश कुमार ने कहा कि कई वर्षों से मुस्लिम समाज को वोट बैंक की राजनीति के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “यह प्रकरण कोर्ट के आदेश पर शुरू हुआ। दोनों पक्ष स्वयं अदालत गए थे, सरकार या अदालत उनके पास नहीं गई। अदालत के निर्देश पर ही वक्फ संपत्तियों का सर्वे किया जा रहा है। अगर किसी को आपत्ति थी, तो उन्हें कोर्ट पर सवाल उठाना चाहिए था, न कि हिंसा का सहारा लेना।”

डॉ. इंद्रेश ने वक्फ संपत्तियों के संरक्षण का मुद्दा उठाते हुए कहा कि जो मुतवल्ली (प्रबंधक) इन संपत्तियों की रक्षा के लिए जिम्मेदार हैं, वही इन्हें नुकसान पहुंचा रहे हैं। सरकार इन संपत्तियों को बचाने का प्रयास कर रही है।

उन्होंने कहा कि पिछले छह महीनों से यह प्रक्रिया जारी थी, फिर पत्थरबाजी और दंगों की जरूरत क्यों पड़ी? स्थानीय सांसद और विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए उन्होंने मुस्लिम समाज को आगाह किया कि वे अपने दोस्त और दुश्मन को पहचानें।
इस कार्यक्रम में सद्भावना मंच की संयोजिका साध्वी कल्पना, समाजसेवी नदीम शमसी, डॉ. विनोद पागरानी समेत कई गणमान्य लोग मौजूद थे। डॉ. इंद्रेश को मंच पर मुकुट पहनाकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में शाहीन रजा खानम, जन्नत, राजेंद्र प्रसाद, अखिलेश पाठक और तहसीन रिजवी भी उपस्थित रहे।

डॉ. इंद्रेश ने अंत में कहा, “अगर आप कानून पर विश्वास नहीं करते, तो कोर्ट का सहारा क्यों लिया? पत्थर फेंकने और हिंसा फैलाने से कुछ हासिल नहीं होगा। देश को कानून और भाईचारे के रास्ते पर चलना होगा।”

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