ड्रोन के लिए IPL योजना के तहत आवेदन आमंत्रित
देश को वर्ष 2030 तक विश्व का ड्रोन केंद्र बनाने के उद्देश्य से नागर विमानन मंत्रालय ने ड्रोन और इसके पुर्जों के लिये उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत आवेदन आमंत्रित किये हैं ।
नयी दिल्ली। देश को वर्ष 2030 तक विश्व का ड्रोन केंद्र बनाने के उद्देश्य से नागर विमानन मंत्रालय ने ड्रोन और इसके पुर्जों के लिये उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत आवेदन आमंत्रित किये हैं ।
जिन कंपनियों ने वित्तवर्ष 2021-22 की पीएलआई पात्रता सीमा पार कर ली है, वे भी आवेदन कर सकती हैं ।
आवेदन पत्र जमा करने की अंतिम तिथि 20 मई है ।
नागर विमानन मंत्रालय ने ड्रोन और ड्रोन पुर्जों के उन निर्माताओं के लिये आवेदन की राह खोल दी है, जिन्होंने पूरे वित्त वर्ष (एक अप्रैल, 2021 से 31 मार्च, 2022) की पीएलआई पात्रता सीमा पार कर ली है। ऐसे निर्माता अपने आवेदन पत्र जमा कर सकते हैं।
आवेदन पत्र जमा करने की अंतिम तिथि 20 मई तक है। पीएलआई लाभार्थियों के वित्तीय नतीजों और अन्य जरूरी दस्तावेजों की गहन जांच करने के बाद उनकी सूची 30 जून, 2022 तक जारी की जा सकती है।
इसके पहले नागर विमानन मंत्रालय ने 20 अप्रैल को 14 पीएलआई लाभार्थियों की एक अनन्तिम सूची जारी की थी, जो दस महीने की अवधि (एक अप्रैल, 2021 से 31 जनवरी, 2022) के मद्देनजर उनके वित्तीय परिणामों के आधार पर तैयार की गई थी। इनमें पांच ड्रोन निर्माता और ड्रोन पुर्जों के नौ निर्माता शामिल थे।
ड्रोन और ड्रोन पुर्जों की पीएलआई योजना के लिये पात्रता में वार्षिक कारोबार को भी शामिल किया गया है। इस संबंध में ड्रोन बनाने वाली कंपनियों का वार्षिक कारोबार दो करोड़ रुपये और ड्रोन पुर्जे बनाने वाली कंपनियों का वार्षिक कारोबार 50 लाख रुपये होना चाहिये। कारोबार में 40 प्रतिशत से अधिक का मूल्य संवर्धन होना भी जरूरी है।
ड्रोन और ड्रोन पुर्जों के लिये पीएलआई योजना को 30 सितंबर, 2021 को अधिसूचित किया गया था। योजना के तहत तीन वित्त वर्षों के दौरान कुल 120 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन दिया जायेगा, जो वित्त वर्ष 2020-21 में सभी स्वदेशी ड्रोन निर्माताओं के संयुक्त कारोबार का लगभग दोगुना है। पीएलआई की दर मूल्य संवर्धन का 20 प्रतिशत है, जो अन्य पीएलआई योजनाओं में सर्वाधिक है।
पीएलआई योजना के अलावा, केंद्र सरकार ने कई सुधार किये हैं, ताकि 2030 तक भारत को विश्व ड्रोन केंद्र बनाया जा सके। इसमें ड्रोन नियम, 2021 को उदार बनाने की अधिसूचना, ड्रोन वायुसीमा मानचित्र 2021 का प्रकाशन शामिल है । इसके तहत भारतीय वायुसीमा के लगभग 90 प्रतिशत क्षेत्र को हरित ज़ोन के रूप में खोल दिया गया है।सुधारों में विदेशों में निर्मित ड्रोनों के आयात को प्रतिबंधित करने वाली ड्रोन आयात नीति, 2022 तथा ड्रोन संचालन के लिये ड्रोन पायलट लाइसेंस लेने की अनिवार्यता समाप्त करने वाले ड्रोन (संशोधन) नियम, 2022 भी शामिल हैं।