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क्लब फुट का उपचार बच्चे की उम्र और बीमारी की जटिलता पर निर्भर : डा. अंकुर

नोएडा। सेक्टर 30 स्थित चाइल्ड पीजीआई के शिशु अस्थि रोग विभाग में मंगलवार को विश्व क्लब फुट दिवस का आयोजन किया। विश्व क्लब फुट दिवस डॉ इग्नासिओ पॉसेटी के जन्म दिवस (3 जून) के उपलक्ष में विश्व भर में मनाया जाता है। डॉ इग्नासिओ पॉसेटी ने बिना ऑपरेशन के प्लास्टर की मदद से क्लब फुट का इलाज विश्व भर में प्रख्यात किया था, जो कि अब सर्वत्र प्रचलित है। विश्व क्लब फुट दिवस के उपल्क्षय में बुधवार को बच्चों के लिए मैजिक शो का आयोजन किया गया और चार्ली चैपलिन के पात्र ने भी बच्चों को खूब हंसाया और गुद गुदाया। बच्चों को संस्थान के निदेशक डॉ (प्रो.) एके सिंह ने उपहार भेंट किये और माता पिता का मनोबल बढ़ाया । क्योर (सीयूआरई) इंडिया के डायरेक्टर डॉ संतोष जॉर्ज ने बच्चों और माता पिता का उत्साह बढ़ाया। डॉ संतोष जॉर्ज विगत 15 वर्षों से क्लब फुट के क्षेत्र में भारत के सभी सरकारी हॉस्पिटल और मेडिकल कॉलेजों से जुड़े हैं। क्योर इंडिया क्लब फुट से ग्रसित बच्चों को इलाज के उपरान्त ब्रेसिज मुफ्त प्रदान करता है, जिससे इलाज का खर्च बहुत कम हो जाता है।
संस्थान के शिशु अस्थि रोग विभाग के प्रमुख डा. अंकुर अग्रवाल ने बताया- क्लब फुट मनुष्यों में सबसे अधिक पायी जाने वाली जन्मजात बीमारी (विकृति) है। यह प्रत्येक एक हजार जन्मे बच्चों में एक से तीन की संख्या में मिल जाती है। हर वर्ष भारत में लगभग 60 हजार बच्चे इस समस्या से ग्रसित पैदा होते हैं। इस विकृति में पैर के पंजों की बनावट गोल्फ के क्लब की तरह दिखती है, इसीलिए इसे क्लब फुट कहते हैं। विश्व में पोसेटी की इलाज विधि ने क्लब फुट ग्रसित बच्चों में एक आशा की किरण दिखाई है। यह विकृति साप्ताहिक प्लास्टर से तथा अंतिम प्लास्टर के पहले एक छोटे से ऑपरेशन की सहायता से सही हो जाती है।
संस्थान के निदेशक डॉ (प्रो.) एके सिंह ने बताया – बच्चों की क्लब फुट क्लिनिक सात सालों से सफलता पूर्वक चल रही है और यहां तकरीबन 260 मरीजों का अब तक इलाज किया जा चुका है। यहां नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद के अलावा पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल, दिल्ली और उत्तराखंड से जटिलतम मरीज आते हैं, जिनका इलाज वहां जटिलता के कारण नहीं हो पाता है । चाइल्ड पीजीआई शिशु अस्थि रोगों के लिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश में “सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में उभरा है।
डॉ अंकुर अग्रवाल ने बताया – क्लब फुट के इलाज के दो पहलू होते हैं एक इलाज, जो कि बच्चे की उम्र और उसकी बीमारी की जटिलता पर निर्भर करता है, और दूसरा है ब्रेस पहना कर, जिससे कि बीमारी की पुनरावृत्ति को रोका जा सके। जन्म के जितनी जल्दी इलाज शुरू होता है उतना ही प्लास्टर पॉसेटी विधि और छोटे ऑपरेशन से इलाज संभव होता है। बड़ी उम्र में ऑपरेशन करना पड़ता है। कार्यक्रम में 60 से अधिक बच्चों और उनके अभिभावकों ने भाग लिया।

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