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कोटा में चौबीस घंटे पेयजल आपूर्ति की उम्मीदें नहीं हो पा रही है पूरी

राजस्थान के कोटा शहर में जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग की अनदेखी एवं पेयजल समस्याओं का निस्तारण नहीं होने के चलते चौबीस घंटे जलापूर्ति करने की लोगों की उम्मीदें पूरी नहीं हो पा रही हैं।

कोटा। राजस्थान के कोटा शहर में जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग की अनदेखी एवं पेयजल समस्याओं का निस्तारण नहीं होने के चलते चौबीस घंटे जलापूर्ति करने की लोगों की उम्मीदें पूरी नहीं हो पा रही हैं।
पेयजल की समस्या को लेकर लगातार आंदोलन करते रहे पार्षद एवं कोटा नगर निगम दक्षिण की वित्त समिति के अध्यक्ष देवेश तिवारी ने बताया कि यदि श्रीनाथपुरम का प्लांट समयबद्ध तरीके से पूरा हो जाता तो कई इलाकों में पीने के पानी की समस्या का समाधान हो सकता था लेकिन विभागीय अधिकारियों ने इस प्लांट के लिए राज्य सरकार से मिले बजट का एक बड़ा हिस्सा शहर के अन्य हिस्सों में पानी की पाइपलाइन बिछाने पर खर्च कर दिया जिससे इस प्लांट के निर्माण कार्य में विलंब हो रहा है। अब इसके सितंबर तक चालू होने की संभावना है।
कोटा शहर में ऐसे कई इलाके हैं जहां के रहने वाले हजारों लोग इन दिनों पीने के पानी की गंभीर समस्या का सामना कर रहे हैं और इसका निस्तारण नहीं हो पा रहा है। जबकि कोटा में 330 एमएलडी पानी की क्षमता के जलशोधन संयंत्र लगे हुए हैं, जिनमें से अकेलगढ़ प्लांट की क्षमता 200 एमएलडी जबकि सकतपुरा प्लांट की क्षमता 130 एमएलडी है।
सूत्रों ने बताया कि विभाग के एक कार्यवाहक अधीक्षण अभियंता ने नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल की गुड बुक में आने के लिए छावनी, रामचंद्रपुरा, शॉपिंग सेंटर कोटड़ी आदि इलाकों में नई पाइपलाइन बिछाने के लिए खर्च किए जाने वाला पैसा श्री धारीवाल के विधानसभा क्षेत्र कोटा उत्तर में खर्च कर दिया जबकि इसकी जरूरत नहीं थी लेकिन जब इसका खुलासा हुआ तो राज्य सरकार ने इस अभियंता को एपीओ कर दिया।
इस बार कोटा में मानसून की मूसलाधार वर्षा न केवल कोटा शहर के निचले और जलभराव वाले क्षेत्रों में कहर बनकर टूटी बल्कि उनकी वजह से शहर के कई सघन आबादी वाले क्षेत्रों में पीने के पानी के संकट के रूप में सामने आया है और कोटा में दो बड़े जलशोधन संयंत्र होने के बावजूद जलदाय विभाग के पास हर साल की तरह इस बार भी यही जवाब कि जलग्रहण क्षेत्र में पानी की आवक के कारण चंबल नदी के पानी में सामान्य से कई गुना अधिक मिट्टी घुल जाने के कारण दोनों जलशोधन संयंत्र अपनी पूर्ण क्षमता से नहीं चल पा रहे हैं इसलिए कम मात्रा में जल आपूर्ति किए जाने के कारण कोटा की कई इलाकों में पेयजल की समस्या उत्पन्न हुई है लेकिन जल्दी ही समस्या का समाधान कर लिया जाएगा।
कोटा के पुराने सघन आबादी वाले क्षेत्र छावनी, रामचंद्रपुरा, कोटड़ी, गोरधनपुरा, कंसुआ, प्रेम नगर, इंदिरा गांधी नगर, संजय गांधी नगर आदि का एक बड़ा इलाका इन दिनों पीने के पानी की आपूर्ति में कटौती का सामना कर रहा है जिसके कारण इन इलाकों में रहने वाले हजारों लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कोटड़ी-गोरधनपुरा में पीने के पानी की किल्लत के विरोध में पार्षद शानू कश्यप के नेतृत्व में बड़ी संख्या में लोगों ने जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग के प्रति नाराजगी जताते हुए शनिवार को कोटड़ी चौराहे पर प्रदर्शन किया और जाम लगा दिया जिसके कारण शहर के इस व्यस्तम चौराहे पर आवागमन में परेशानी का सामना करना पड़ा।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि पिछले करीब दस दिनों से पीने के पानी की पर्याप्त आपूर्ति नहीं की जा रही है। इसके कारण लोगों को होने वाली परेशानियों का अनुमान लगाया जा सकता है। समस्या झेल रहे लोग जब जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के शॉपिंग सेंटर स्थित कार्यालय एवं दादाबाड़ी में अतिरिक्त मुख्य अभियंता के कार्यालय में अपनी व्यथा बताने जाते हैं तो उन्हें यह कह कर लौटा दिया जाता है कि एक-दो घंटे में जलापूर्ति शुरू कर दी जाएगी।

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