मेरठ

कृषक इण्टर कालिज में पूर्व डायरेक्टर चौधरी अजय सिहं खालिदपुर ने किया पौधारोपण

कृषक इण्टर कालिज, मवाना पौधारोपण अभियान की निरन्तरता बनाए रखते हुए नित नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। इसी कडी में आज एक बार फिर वृह्द वृक्षारोपण अभियान चलाया गया।

मवाना(संवादाता आरके विश्वकर्मा)। कृषक इण्टर कालिज, मवाना पौधारोपण अभियान की निरन्तरता बनाए रखते हुए नित नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। इसी कडी में आज एक बार फिर वृह्द वृक्षारोपण अभियान चलाया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता राज्यपाल द्वारा पुरस्कृत प्रधानाचार्य डॉ• देवेन्द्र कुमार ने की जबकी मुख्य अतिथि चौधरी अजय कुमार खालिदपुर, पूर्व डायरेक्टर एवं पूर्व संरक्षक प्रबन्ध समिति कृषक इण्टर कालिज मवाना रहे।
सर्वप्रथम मुख्य अतिथि चौधरी अजय कुमार खालिदपुर, पूर्व डायरेक्टर एवं पूर्व संरक्षक प्रबन्ध समिति कृषक इण्टर कालिज मवाना एवं विद्यालय के राज्यपाल द्वारा पुरस्कृत प्रधानाचार्य डॉ• देवेन्द्र कुमार ने संयुक्त रूप से पौधारोपण कर वृक्षारोपण अभियान का विधिवत उद्घाटन किया तत्पश्चात उपस्थित स्टाफ व छात्र छात्राओं ने बडी संख्या में पौधारोपण किया।
मुख्य अतिथि चौधरी अजय कुमार खालिदपुर, पूर्व डायरेक्टर एवं पूर्व संरक्षक प्रबन्ध समिति कृषक इण्टर कालिज मवाना ने अपने सम्बोधन में कहा कि पौधारोपण करना हमारा नैतिक कर्तव्य है और सिर्फ पौधारोपण ही काफी नहीं है। पौधारोपण के उपरांत पौधों की देखभाल करना भी नितांत आवश्यक है अन्यथा वह दिन दूर नहीं जब हम एक एक सांस के लिए तरसेगें। साथ ही हमारी दैनिक उपभोग की अधिकांश वस्तुओं जैसे दवाई, कागज, फर्नीचर, इंधन आदि के निर्माण में पेड़ों का अनियमित कटान होता है जिसका सन्तुलन बनाए रखने हेतु अधिक से अधिक पौधारोपण करना चाहिए।
राज्यपाल द्वारा पुरस्कृत प्रधानाचार्य डॉ• देवेन्द्र कुमार ने कहा कि हम पौधारोपण अभियान में पूर्ण मनोयोग से प्रतिभाग कर रहे हैं जिसके अन्तर्गत प्रतिदिन भिन्न भिन्न प्रजाति के पौधों का रोपण विद्यालय परिसर में किया जा रहा है। इस अभियान में निरन्तर क्षेत्र के सभ्रान्त व्यक्तियों का भी पूर्ण सहयोग हमें प्राप्त हो रहा है। ऐसा करने से सिर्फ हम कर्तव्य निर्वहन ही नहीं कर रहे बल्कि इससे हमें आत्मिक संतुष्टि भी प्राप्त होती है।
इस अवसर पर देवेन्द्र कौल, चौधरी नरेशपाल, संजीव (रसायन), संजीव कुमार (इतिहास), अरविन्द विजयी एवं सैकडों छात्र छात्राएं आदि उपस्थित रहे।

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