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‘ऑपरेशन सिंदूर’ की शेरनी निकिता पांडे ने खटखटाया कोर्ट सुप्रीम कोर्ट दरवाजा, सरकार पर लगाए आरोप, जानें क्यों?

ऑपरेशन सिंदूर में शामिल रहीं भारतीय वायुसेना की विंग कमांडर निकिता पांडेय को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। गुरुवार को उनके मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय वायुसेना को निर्देश दिया कि वह अगली सुनवाई तक निकिता पांडेय को सेवा से न हटाए। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार से इस मामले में जवाब भी मांगा है।

स्थायी कमीशन न मिलने पर पहुंचीं सुप्रीम कोर्ट

दरअसल विंग कमांडर निकिता पांडेय ने अपनी सेवा को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। ऑपरेशन बालाकोट और हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर जैसे महत्वपूर्ण अभियानों में सक्रिय भूमिका निभाने के बावजूद उनकी सेवा के 14 साल पूरे होने पर उन्हें स्थायी कमीशन नहीं मिला था। इस कारण उन्हें पद से मुक्त किया जाना था जिसके विरोध में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।

सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एनके मेनन सिंह की दो-न्यायाधीशों की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की। पीठ ने गुरुवार को विंग कमांडर निकिता पांडेय की सेवा फिलहाल जारी रखने का आदेश दिया।

केंद्र सरकार से मांगा जवाब: वायुसेना की प्रक्रिया पर सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब तलब करते हुए पूछा कि विंग कमांडर निकिता पांडेय को अब तक स्थायी कमीशन क्यों नहीं दिया गया? केंद्र सरकार की ओर से अदालत में पेश हुईं अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि यह निर्णय बोर्ड के मूल्यांकन के आधार पर लिया जाता है और निकिता के मामले पर विचार करने के लिए एक दूसरा समीक्षा बोर्ड तैयार किया जा रहा है।

एएसजी भाटी ने यह भी बताया कि निकिता ने सीधे सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है जो सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा नहीं थी। उन्होंने कहा, ये सभी महिला अधिकारी बेहद प्रतिभाशाली हैं लेकिन वायुसेना में कमीशन की एक तय प्रक्रिया है। इसी प्रक्रिया के तहत कुछ अधिकारियों को 14 साल की सेवा के बाद हटाना पड़ता है। यह सुरक्षा बल की जरूरत होती है।

सुप्रीम कोर्ट ने वायुसेना की सराहना की

मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने भारतीय वायुसेना की तारीफ करते हुए कहा, हमारी वायुसेना दुनिया की सर्वश्रेष्ठ सेनाओं में से एक है। इन अधिकारियों ने जिस तरह का समन्वय और कौशल दिखाया है वह सराहनीय है। हम इन पर गर्व करते हैं क्योंकि इन्हीं की वजह से हम रात को चैन से सो पाते हैं।

निकिता पांडेय की वकील वरिष्ठ अधिवक्ता मेनका गुरुस्वामी ने अदालत को बताया कि पांडे एक विशेषज्ञ फाइटर कंट्रोलर हैं और उन्होंने महत्वपूर्ण अभियानों में अहम योगदान दिया है। गुरुस्वामी ने तर्क दिया कि 2019 की नीति के कारण उन्हें जबरन सेवा समाप्त करनी पड़ रही है जबकि उनका अनुभव और योगदान उन्हें स्थायी कमीशन का हकदार बनाता है।

न्यायमूर्ति कांत ने टिप्पणी की कि इस मुद्दे का स्थायी समाधान यह हो सकता है कि केवल उन्हीं अधिकारियों की एसएससी (शॉर्ट सर्विस कमीशन) भर्ती हो जिन्हें भविष्य में स्थायी कमीशन देने की क्षमता हो। उन्होंने कहा, यदि आप 100 अधिकारियों को एसएससी में लेते हैं और उनमें से एक को भी स्थायी कमीशन देना है तो आपके पास यह करने की पूरी योजना होनी चाहिए।

अदालत ने यह भी कहा कि अयोग्यता का निर्धारण केवल योग्यता के आधार पर नहीं बल्कि पारदर्शिता और ठोस कारणों से किया जाना चाहिए। कोर्ट ने रक्षा बलों में स्थायित्व और भविष्य की स्पष्टता को जरूरी बताया अन्यथा अधिकारियों के मन में असुरक्षा की भावना पनप सकती है।

सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 6 अगस्त तय की है तब तक विंग कमांडर निकिता को सेवा में बनाए रखने का आदेश जारी रहेगा।

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