आईपीपीटीए की दो दिवसीय सेमिनार होगी आयोजित
प्रधानमंत्री द्वारा पेपर लेस वर्क की योजना पर कागज उद्यमियों को काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है
मुजफ्फरनगर। कागज उद्यमियों ने वातावरण को प्रदूषित होने से बचाने को लेकर नई नीति एवं सोच के साथ अपने पेपर उद्योग को आगे बढ़ाने के लिए कागज उद्योग से जुड़े उद्यमियों ने कदम उठाए हैं। देश में कुल कागज का उत्पादन 25 लाख टन प्रतिवर्ष होता है इसमें से जनपद मुजफ्फरनगर में चार लाख टन कागज का उत्पादन प्रतिवर्ष होता है। पूर्व पालिकाध्यक्ष पंकज अग्रवाल ने बताया कि मुजफ्फरनगर में ज्यादातर कागज वेस्ट पेपर से बनाया जाता है। उन्होंने बताया कि लगभग 45 वर्ष पूर्व जितना कागज बनाया जाता था उसमें अब बहुत अधिक वृद्धि हो चुकी है।
सरकुलर रोड स्थित एक होटल में मीडिया सेंटर के पत्रकारों से वार्ता करते हुए आईपीपीटी एके वाइस प्रेसिडेंट एवं खेतान ग्रुप के सीएमडी पवन खेतान ने जानकारी देते हुए बताया कि पूरे देश में प्रतिवर्ष कागज उद्योग 80000 करोड रुपए का कागज बनता है। उन्होंने बताया कि सरकार को 8000 रुपए राजस्व दिया जाता है। उन्होंने बताया कि कागज उद्योग लगभग 50 हजार लोगों को प्रत्यक्ष एवं डेढ़ लाख लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार देता है। पवन खेतान आईपीपीटीए के पदाधिकारी एवं मुजफ्फरनगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष पेपर उद्योग से जुड़े पंकज अग्रवाल ने संयुक्त रूप से बताया कि जनपद के 50 किलोमीटर के दायरे में आने वाली पेपर मिल लगभग चार लाख टन कागज का उत्पादन करती है। उन्होंने बताया कि गुजरात के बाद प्रदेश भर में मुजफ्फरनगर में पेपर उद्योग का सबसे बड़ा क्षेत्र है। पंकज अग्रवाल ने बताया कि टेंपल दस्तावेज करती थी उत्पादन किया जाता था। उन्होंने बताया कि वर्तमान में वह उत्पादन बढ़कर 11000 टन प्रतिदिन हो गया है। उन्होंने बताया कि कागज को अधिकतम 6 से 7 बार रीसायकल किया जाता है तथा हर बार लंबे फाइबर या केमिकल के साथ मिलकर नया कागज तैयार किया जाता है।
पंकज अग्रवाल ने बताया कि आईपीपीटीए के द्वारा 30 अक्टूबर को 2 दिन से सेमिनार का आयोजन किया जाएगा जिसमें बेहतर उपज और गुणवत्ता प्राप्त करने के लिए बरामद कागज का कुशल संग्रह और पर संस्करण है। खेतान ग्रुप के सीएम डी पवन खेतान ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पेपर लेस वर्क की योजना पर प्रकाश डालते हुए बताया कि पेपर लेस वर्क के आने से कागज उद्यमियों को काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है मगर अपनी रोजी-रोटी एवं रोजमर्रा के खर्चों को चलाने के लिए नई नीति एवं नई सोच के साथ अपने कागज उद्योग को आगे बढ़ने का प्रयास एक यूनिट होकर किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि आज उद्योग के द्वारा देखी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा चलाए गई योजना को सम्मान देते अपने कारोबार मैं कुछ बदलाव की जा रहे हैं जिसके चलते दो दीजिए सेमिनार का आयोजन 21 अक्टूबर को किया जाए