अंतरिक्ष में एस्ट्रोनॉट एक खास मकसद के लिए भेजे जाते हैं। वे कब तक रहेंगे, क्या करेंगे, ये सबकुछ पहले से तय होता है। बाद में वे वापस बुला लिये जाते हैं लेकिन दुनिया में एक अंतरिक्ष यात्री ऐसे भी हुए, जिन्हें धरती पर आने से रोक दिया गया। महीनों तक वे अंतरिक्ष में फंसे रहे और जब धरती पर आए तो सबकुछ बदल चुका था। जिस देश के नाम से वे गए थे, ना वो देश बचा था और न ही वो अंतरिक्ष की टीम। सब कुछ बिल्कुल अलग था।
हम बात कर रहे सोवियत संघ के अंतरिक्ष यात्री सर्गेइ क्रिकालेव की। क्रिकालेव 18 मई, 1991 को सोयूज स्पेस क्राफ्ट में बैठकर पांच महीने के लिए एमआईआर स्पेस स्टेशन भेजे गए थे। उनके साथ सोवियत संघ के ही एक अन्य वैज्ञानिक अनातोली अर्टेबार्स्की और ब्रितानी वैज्ञानिक हेलेन शरमन भी गई थीं। क्रिकालेव का काम कुछ कलपुर्जों को ठीक करके स्टेशन में सुधार लाना था। अंतरिक्ष में वे सबकुछ ठीक ठाक कर रहे थे, लेकिन धरती पर काफी कुछ बदल चुका था।
यहां सोवियत संघ का बिखराव होने लगा। जिस वक्त क्रिकालेव अंतरिक्ष में थे, यहां सोवियत संघ पूरी तरह बिखर चुका था। फिर जब उनके धरती पर लौटने का समय आया तो उन्हें संदेश देने वाला कोई नहीं था। नतीजा, क्रिकालेव कई महीनों के लिए अधर में लटक गए। क्रिकालेव को पहले से तय समय के मुकाबले दोगुना वक्त अंतरिक्ष में गुजारना पड़ा। जब 10 महीने का समय अंतरिक्ष में गुजारकर वे धरती पर लौटे तो उनके देश का नाम दुनिया के नक्शे से मिट चुका था। इसी वजह से उन्हें सोवियत संघ का अंतिम नागरिक भी माना जाता है। क्रिकालेव रूसी स्पेस एजेंसी रॉसकॉसमॉस के उस विभाग के निदेशक भी रहे। यही संस्था एस्ट्रोनॉट को अंतरिक्ष में भेजती है।