‘सड़कों के निर्माण में सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता मिलनी चाहिए’, बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं पर नितिन गडकरी का आया बयान
गडकरी ने कहा कि अगर भविष्य में सड़क इंजीनियरिंग की गलती के कारण किसी की मौत होती है तो इसके लिए वह खुद दोषी होंगे।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने शुक्रवार (8 नवंबर) को सड़क दुर्घटनाओं और उसके कारण होने वाली मौतों की बढ़ती संख्या की ओर ध्यान आकर्षित किया और देश में सड़कों के निर्माण में सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने पर जोर दिया। गडकरी ने कहा कि अगर भविष्य में सड़क इंजीनियरिंग की गलती के कारण किसी की मौत होती है तो इसके लिए वह खुद दोषी होंगे। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में एक कार्यक्रम में सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए केंद्र के प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने सरकारी इंजीनियरों से अपनी नौकरी छोड़कर एक अच्छी डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) बनाने वाली कंपनी शुरू करने का आग्रह किया और उन्हें प्राथमिकता के आधार पर काम देने का आश्वासन दिया।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में भारतीय सड़क कांग्रेस के 83वें वार्षिक सत्र को संबोधित करते हुए गडकरी ने कृषि प्रधान छत्तीसगढ़ में पराली से बिटुमेन और सीएनजी के उत्पादन पर जोर दिया और तर्क दिया कि इस कदम से जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम होगी और प्रदूषण पर लगाम लगेगी। उन्होंने छत्तीसगढ़ के लिए कई सड़क परियोजनाओं की घोषणा की और कहा कि उन्हें विश्वास है कि अगले दो वर्षों में राज्य में अमेरिका जैसा सड़क नेटवर्क होगा। मंत्री ने कहा, “हर साल सड़क दुर्घटनाओं के कारण 1.50 लाख मौतें होती हैं, जो अब बढ़कर 1.68 लाख हो गई हैं। सड़क इंजीनियरिंग और ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग में कमियों को सुधारने के प्रयास जारी हैं, लेकिन दोषपूर्ण डीपीआर ने बड़ी समस्या पैदा कर दी है।”
उन्होंने कहा, “हम सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए गंभीर प्रयास कर रहे हैं। सड़क दुर्घटनाओं के लगभग 60 प्रतिशत पीड़ित 18 से 34 वर्ष की आयु के हैं। मैं आपसे आग्रह करना चाहूंगा कि ऐसी सड़कें बनाएं जहां कोई दुर्घटना न हो (दोषपूर्ण इंजीनियरिंग कार्यों के कारण)।” मंत्री ने जोर देकर कहा कि सड़क इंजीनियरिंग में सुधार से दुर्घटनाओं पर अंकुश लगेगा और लोगों की जान बचेगी।
उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित लोगों से कहा, “हमने ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग में नियम बनाए हैं। अगर भविष्य में सड़क इंजीनियरिंग के कारण किसी की मृत्यु होती है, तो मैं इसके लिए खुद को दोषी मानूंगा।” अधिकारियों और इंजीनियरों की सभा की ओर इशारा करते हुए मंत्री ने कहा कि परियोजनाओं के लिए डीपीआर की सावधानीपूर्वक जांच किए बिना कोई भी निविदा जारी नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों को रोकने के लिए सड़क सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए। गडकरी ने कचरे से ऊर्जा बनाने की तकनीक के महत्व पर जोर दिया और छत्तीसगढ़ से धान की पराली का उपयोग करके सीएनजी और बिटुमेन बनाने पर काम करने का आग्रह किया।
केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (सीआरआरआई) और भारतीय पेट्रोलियम संस्थान, देहरादून ने धान की पराली से बायो-बिटुमेन विकसित किया है और इसका उपयोग मेघालय में किया जा रहा है। उन्होंने सभा को बताया इसका (धान की पराली का) बिटुमेन में 35 प्रतिशत तक उपयोग किया जा सकता है। देश की बिटुमेन की आवश्यकता 90 लाख मीट्रिक टन है और रिफाइनरी की क्षमता 40-50 लाख मीट्रिक टन है।
गडकरी ने कहा कि हम 50 लाख मीट्रिक टन आयात कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर छत्तीसगढ़ पराली से बिटुमेन बनाना शुरू करता है, तो यह कचरे से संपदा बनाने की दिशा में एक कदम होगा। इसी तरह पंजाब और हरियाणा में धान की पराली से बायो-सीएनजी और बायो-एलएनजी बनाने की 400 परियोजनाएं शुरू हो चुकी हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अगर छत्तीसगढ़ भी ऐसा ही करेगा तो राज्य में पेट्रोल और डीजल की जरूरत नहीं पड़ेगी। गडकरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “आत्मनिर्भर भारत” के सपने को साकार करने के लिए मजबूत बुनियादी ढांचे के विकास की जरूरत पर जोर दिया।