बेजुबान पशुओं की सेवा ही सच्ची सेवाः डीएम
पशुओं को पौष्टिक तत्व देने में नेपियर घास का महत्वपूर्ण स्थानःडाॅ. दिनेश चन्द्र
सहारनपुर। भारतीय संस्कृति में बेजुबान पशुओं की सेवा का बड़ा महत्व है। निराश्रित गोवंशों को अपने आवास पर पालकर एवं उनके प्रति सच्ची सेवा का भाव रखकर जिलाधिकारी जनपद वासियों को बेहतर संदेश दे रहे हैं। जिलाधिकारी डॉ. दिनेश चंद्र शासकीय सेवा में रहते हुए गरीब और जरूरतमंद की तो हरसंभव मदद करते ही हैं। उनका पशुओं के प्रति प्रेम भी देखा जा सकता है, विशेषकर गौ माता के प्रति। उनके गौमाता के प्रति प्रेम का उदाहरण है उनके घर पर पल रही गाएं और छोटे-छोटे बछड़े। डीएम का गायों के प्रति प्रेम किसी से छुपा नहीं है। वो प्रतिदिन अपने आवास पर पल रहीं गायों और बछड़ों की सेवा जरूर करते हैं। इसके अतिरिक्त जिलाधिकारी जनपद में स्थित गौशालाओ में जाते रहते हैं।
गौशाला का निरीक्षण कर वहां की व्यवस्थाओं को परखते हैं। गौशाला में गौसेवा करने के साथ गायों और बछड़ों को चारा और गुड़ भी खिलाते हैं। जिलाधिकारी का गायों के प्रति सेवाभाव हम देख सकते है। गायों को हरे चारे की कमी न हो इसके लिए उन्होंने नेपियर घास के उत्पादन को बढ़ावा दिया। उनके नेपियर घास के अभिनव प्रयास को प्रदेश भर में अपनाया जा रहा है। जिलाधिकारी डॉ. दिनेश चंद्र ने अपने आवास पर भी नेपियर घास उगा रखी है। नेपियर घास के उत्पादन के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि यह पंच वर्षीय हरा चारा प्रबंधन की दिशा में अभिनव प्रयास है। उन्होंने कहा कि इस घास को लगाने की विधि भी बहुत सरल है और यह लगभग 70 से 80 दिन में तैयार हो जाती है। उन्होंने कृषकों का आह्वान किया कि नेपियर घास की अधिक से अधिक बुवाई की जाऐ। उन्होंने कहा कि चारागाह की 100 हेक्टयर से अधिक भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराया गया है तथा इस पर नेपियर घास का उत्पादन किया जा रहा है। इस उत्पादित नेपियर घास को जनपद की विभिन्न गौशालाओं से संबद्ध किया गया है।