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प्लेटलेट्स की जगह ऐसा क्या चढ़ा दिया कि ठेकदार डेंगू मरीज की हो गई मौत

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में मानवता को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है। यहां गलत प्लेटलेट्स चढ़ाने से बालू ठेकेदार की मौत हो गई।

डेंगू के मरीज बढ़ने के साथ ही अब प्लेटलेट्स के नाम पर काली कमाई का भी मामला सामने आने लगा। बुधवार को सोहबतियाबाग निवासी सौरभ त्रिपाठी ने आरोप लगाया है कि उसके बमरौली निवासी बालू ठेकेदार जीजा की मौत बमरौली के एक निजी अस्पताल में गलत प्लेटलेट्स चढ़ाने से हुई है।

सौरभ का कहना है कि उसने जार्जटाउन थाने में भी शिकायत की, लेकिन पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया। सौरभ का कहना है कि उसकी बहन की शादी तीन साल पहले बमरौली निवासी प्रदीप पांडेय के साथ हुई। कुछ दिन पहले प्रदीप की तबीयत बिगड़ी तो उसे बमरौली के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां उसे प्लेटलेट्स की जरूरत बताई गई। प्लेटलेट्स नौ हजार पहुंचने पर अस्पताल प्रशासन से लोगों ने प्लेटलेट्स दिलाने का दावा किया।

आरोप है कि प्रदीप के परिजनों से पांच हजार रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से प्लेटलेट्स दी। तीन यूनिट चढ़ने के बाद प्रदीप की हालत बहुत खराब हुई तो परिवार वाले जार्जटाउन के एक अस्पताल में लाए, जहां जांच के बाद मालूम चला कि प्रदीप की नसें फट गईं और खून जम गया है। यही प्रदीप की मौत हो गई। प्रदीप की तीन महीने की बेटी कावेरी भी डेंगू से पीड़ित होने के कारण सिविल लाइंस के एक अस्पताल में भर्ती है। प्रदीप की पत्नी के भाई सौरभ का दावा है कि एक यूनिट प्लेटलेट्स उनके पास है, जो एकदम पतली है, जिसकी वो जांच कराएंगे। जो प्लेटलेट्स दी गई है, उस पर पर्ची एसआरएन अस्पताल की है। इस आरोप पर पुलिस ने दो लोगों को उठाया है। जिनसे पूछताछ चल रही है।

प्रदीप की मौत गलत प्लेटलेट्स से हुई है या नहीं ये तो जांच में मालूम चलेगा। लेकिन प्लेटलेट्स की कमी के कारण इसके सौदागर के सक्रिय होने की बात से इनकार तो नहीं किया जा सकता। ऐसे में जब भी प्लेटलेट्स खरीदें तो कुछ सावधानी बरतें। इलाहाबाद नर्सिंग होम एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ.सुशील सिन्हा का कहना है कि बीमार होने पर रजिस्टर्ड डॉक्टर के पास ही जाना उचित है। साथ ही प्लेटलेट्स खरीदें नहीं, ब्लड बैंक से जाकर खुद लें। क्योंकि किसी भी ब्लड बैंक में ऐसा नहीं हो सकता। सुनी सुनाई नहीं अपनी आंखों के सामने लें। इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. सुबोध जैन का कहना है कि एएमए, बेली, एसआरएन और कॉल्विन के ब्लडबैंक से लोग प्लेटलेट्स लें। इस प्रकरण में एसआरएन की फर्जी स्लिप लगाने की बात कही जा रही है। ऐसे में जरूरी है कि लोग बिचौलियों पर भरोसा न करें। खुद उस ब्लड बैंक जाएं, जहां से प्लेटलेट्स लेनी है। क्योंकि किसी भी ब्लड बैंक से जारी प्लेटलेट्स में गड़बड़ी की संभावना है ही नहीं। आप मौके पर जाएं और अपने सामने ही ब्लड बैंक से प्लेटलेट्स लें।

ये प्लेटलेट्स हमारे कॉलेज की नहीं है। हमारे यहां कॉलेज का लोगो लगा है। कोई व्यक्ति बाहर क्या करता है इसके लिए क्या कहा जाए। वो जांच कराएं हमारा पूरा सहयोग होगा। ये किसी ने उन्हें गलत तरीके से दिया है।
डॉ. वत्सला मिश्र, अध्यक्ष पैथोलॉजी विभाग, मोती लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज

अब तक किसी ने लिखित शिकायत नहीं की है। अगर ऐसा प्रकरण है तो मेरे पास लिखित शिकायत की जाए। इसकी तत्काल प्रभाव से जांच कराई जाएगी। जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ तत्काल प्रभाव से कार्रवाई होगी।
डॉ. नानक शरण, सीएमओ

इस फर्जीवाड़े के खुलासे के लिए पुलिस टीम लगी है। दो संदिग्ध पकड़े गए हैं। उनसे पूछताछ चल रही है ।कोई भी इस प्रकरण में कोई भी दोषी होगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

निजी अस्पताल में नकली प्लेटलेट्स चढ़ाने का मामला सामने आया है। अगर ऐसा है तो प्रकरण गंभीर है। पुलिस की टीम को निर्देश दिया है कि प्रकरण की जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।

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