बेहट/सहारनपुर। किसी भी प्रजाति के वृक्ष को काटने के लिए किसान को परमिट की आवश्यकता होती है। जिसके लिए किसान वन विभाग में अपने पेड़ों को काटने के लिए प्रार्थना पत्र देता है। किसान जब पेड़ काटने की परमिशन के लिए विभाग में एप्लाई करता है, परन्तु उद्यान विभाग के अधिकारी व कर्मचारी मौके पर जाकर सत्यापन नहीं करते और अपने ऑफिस में बैठकर ही सुविधा शुल्क लेकर रिपोर्ट लगा देते हैं। विभागीय कर्मचारी मौके पर जाकर सही जानकारी लेना अच्छा नहीं मानते। यही कारण है कि हरे भरे कम उम्र के पेड़ों को काटा जाता है। जिस बाग में पेड़ काटे जा रहे हैं उसे इस बाग की खसरा खतौनी विभाग को चैक करनी चाहिए। सूत्रों के मुताबिक खसरा खतौनी में पेड़ कम दर्शाए गए हैं जबकि मौके पर लगभग 415 पेड़ है। वन विभाग के जिला वन अधिकारी और मुख्य वन संरक्षक उक्त मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच करायें। जांच के बाद बहुत बड़ा खुलासा होगा क्योंकि उपरोक्त मामले में वन विभाग के कर्मचारी भी शामिल है। ऐसा ही एक मामला देहात कोतवाली क्षेत्र शकलापुरी रोड़ ईदगाह के बराबर में रईस और सईद ठेकेदारों का मामला प्रकाश में आया है। इन ठेकेदारों द्वारा 415 पेड़ों में से लगभग 100 पेड़ों का परमिट विभाग से प्राप्त किया है। बाकी लगभग 315 हरे भरे आमों के पेड़ बिना परमिट के काटने की चर्चा क्षेत्र में हो रही है। बताते चलें कि इस बाग में लगभग 415 पेड़ बताये जा रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि इन पेड़ों को काटने के लिए उपरोक्त दोनों ठेकेदारो ने कुछ पेड़ों का परमिट प्राप्त कर लिया है और उसी की आड़ में लगभग 315 पेड़ अवैध रूप से काटे जा रहे हैं। ऐसा नहीं है कि अवैध रूप से काटे जा रहे हैं पेड़ों की जानकारी वन विभाग को नहीं है। पूरा कटान वन विभाग की मिली भगत से किया जा रहा है। अगर ऐसा नहीं है तो वन विभाग ने अब तक उक्त ठेकेदारों के विरुद्ध देहात कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज क्यों नहीं कराई? यदि विभाग इस बाग को काटने वाले दोनों ठेकेदारों के विरुद्ध देहात कोतवाली में जाकर रिपोर्ट दर्ज कराये। इन ठेकेदारों द्वारा काटे जा रहे हैं पेड़ों पर लाखों रुपए जुर्माना बनता है जो सरकार के कोष में जमा होता लेकिन वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी ठेकेदारों से मिलकर सरकार को लाखों रुपए का चुना लगवा रहे हैं। क्षेत्र की जनता ने जिलाधिकारी से मांग की है कि उपरोक्त मामले को संज्ञान में लेकर किसी निष्पक्ष और उच्च अधिकारी से इसकी जांच कराई जाऐ और इन ठेकेदारों के खिलाफ पुलिस और विभागीय कार्यवाही करते हुए इनसे राजकोष में जुर्माना जमा कराया जाऐ।
बेहट/सहारनपुर। किसी भी प्रजाति के वृक्ष को काटने के लिए किसान को परमिट की आवश्यकता होती है। जिसके लिए किसान वन विभाग में अपने पेड़ों को काटने के लिए प्रार्थना पत्र देता है। किसान जब पेड़ काटने की परमिशन के लिए विभाग में एप्लाई करता है, परन्तु उद्यान विभाग के अधिकारी व कर्मचारी मौके पर जाकर सत्यापन नहीं करते और अपने ऑफिस में बैठकर ही सुविधा शुल्क लेकर रिपोर्ट लगा देते हैं। विभागीय कर्मचारी मौके पर जाकर सही जानकारी लेना अच्छा नहीं मानते। यही कारण है कि हरे भरे कम उम्र के पेड़ों को काटा जाता है। जिस बाग में पेड़ काटे जा रहे हैं उसे इस बाग की खसरा खतौनी विभाग को चैक करनी चाहिए। सूत्रों के मुताबिक खसरा खतौनी में पेड़ कम दर्शाए गए हैं जबकि मौके पर लगभग 415 पेड़ है। वन विभाग के जिला वन अधिकारी और मुख्य वन संरक्षक उक्त मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच करायें। जांच के बाद बहुत बड़ा खुलासा होगा क्योंकि उपरोक्त मामले में वन विभाग के कर्मचारी भी शामिल है। ऐसा ही एक मामला देहात कोतवाली क्षेत्र शकलापुरी रोड़ ईदगाह के बराबर में रईस और सईद ठेकेदारों का मामला प्रकाश में आया है। इन ठेकेदारों द्वारा 415 पेड़ों में से लगभग 100 पेड़ों का परमिट विभाग से प्राप्त किया है। बाकी लगभग 315 हरे भरे आमों के पेड़ बिना परमिट के काटने की चर्चा क्षेत्र में हो रही है। बताते चलें कि इस बाग में लगभग 415 पेड़ बताये जा रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि इन पेड़ों को काटने के लिए उपरोक्त दोनों ठेकेदारो ने कुछ पेड़ों का परमिट प्राप्त कर लिया है और उसी की आड़ में लगभग 315 पेड़ अवैध रूप से काटे जा रहे हैं। ऐसा नहीं है कि अवैध रूप से काटे जा रहे हैं पेड़ों की जानकारी वन विभाग को नहीं है। पूरा कटान वन विभाग की मिली भगत से किया जा रहा है। अगर ऐसा नहीं है तो वन विभाग ने अब तक उक्त ठेकेदारों के विरुद्ध देहात कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज क्यों नहीं कराई? यदि विभाग इस बाग को काटने वाले दोनों ठेकेदारों के विरुद्ध देहात कोतवाली में जाकर रिपोर्ट दर्ज कराये। इन ठेकेदारों द्वारा काटे जा रहे हैं पेड़ों पर लाखों रुपए जुर्माना बनता है जो सरकार के कोष में जमा होता लेकिन वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी ठेकेदारों से मिलकर सरकार को लाखों रुपए का चुना लगवा रहे हैं। क्षेत्र की जनता ने जिलाधिकारी से मांग की है कि उपरोक्त मामले को संज्ञान में लेकर किसी निष्पक्ष और उच्च अधिकारी से इसकी जांच कराई जाऐ और इन ठेकेदारों के खिलाफ पुलिस और विभागीय कार्यवाही करते हुए इनसे राजकोष में जुर्माना जमा कराया जाऐ।